Chandil (Dilip Kumar) : झारखंड के हजारीबाग जिला स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय के विद्यार्थी मानभूमी शैली के छऊ नृत्य का गुर सीख रहे हैं. विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को सरायकेला-खरसावां जिले के ईचागढ़ प्रखंड के चोगा स्थित नटराज कला केंद्र के प्रशिक्षक जगदीश चंद्र महतो छऊ नृत्य के बारिकियों से रू-ब-रू करा रहे हैं. उनके साथ वाद्ययंत्र सहायक के रूप में ढोल में कर्ण कालिंदी, शहनाई और नगाड़ा में जटल कालिंदी विद्यार्थियों को परिचित करा रहे हैं.
20 दिसंबर तक दिया जाएगा प्रशिक्षण
इस दौरान विद्यार्थी छऊ की ताल-लय, भाव-भंगिमा सीखकर रोमांचित हो रहे हैं. इस संबंध में नटराज कला केंद्र के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय छऊ कलाकार प्रभात महतो ने बताया कि विनोवा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग में विद्यार्थियों को 20 दिसंबर तक मानभूमी शैली के छऊ नृत्य का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
कई देशों में छऊ की खुशबू बिखेर चुका है नटराज कला केंद्र
मानभूमी शैली के छऊ नृत्य में कलाकार भाव-भंगिमा से ही अपनी बातों को रखता है. छऊ प्रशिक्षण के दौरान विद्यार्थियों ने नृत्य की उत्पत्ति, ताल-लय, भाव-भंगिमा समेत कई प्रकार की जानकारियां हासिल की. मानभूमी शैली के छऊ नृत्य कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के कारण नटराज कला केंद्र चोगा, ईचागढ़ देश में ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में विख्यात हो गया है. केंद्र के कलाकार ना केवल मानभूमी शैली का छऊ नृत्य पेश कर रहे हैं बल्कि छऊ की बारिकियों से भी लोगों को रू-ब-रू करा रहे हैं. देश-विदेश के लोग केंद्र के मुख्यालय पहुंचकर छऊ के प्रति अपनी जिज्ञासा शांत करते हैं. नटराज कला केंद्र के कलाकार देश के विभिन्न स्थानों के अलावा विश्व के दर्जनों देशों में छऊ की छटा बिखेर चुके हैं.
रांची में प्रशिक्षण 18 से
सरला बिड़ला पब्लिक स्कूल रांची के विद्यार्थी भी मानभूमी शैली के छऊ नृत्य के गुर सीखेंगे. यहां नटराज कला केंद्र के प्रशिक्षक 18-22 दिसंबर तक विद्यार्थियों को छऊ नृत्य प्रशिक्षण देंगे. इसके बाद प्रशिक्षण का दूसरा सत्र जनवरी 2025 में 10 दिनों का होगा. इस प्रशिक्षण में नटराज कला केंद्र के प्रशिक्षक सुचांद महतो और अनुरोध पातर विद्यार्थियों को नृत्य के भाव-भंगिमा से परिचित कराएंगे. इसकी जानकारी देते हुए केंद्र के प्रमुख प्रभात महतो ने बताया कि मानभूमि शैली के छऊ नृत्य में झारखंड की परंपरागत नृत्य के अलावा शास्त्रीय, मार्शल स्टाइल, आदिवासी व लोक संस्कृति भी होता है. छऊ नृत्य में मसल पावर के साथ मानव सभ्यता की झलक देखने को मिलती है.
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