Lagatar Desk : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान अपने आदेश में कहा है कि अवैध भवन निर्माण को नियमित नहीं किया जा सकता. चाहे वह भवन कितना भी पुराना क्यों ना हो. शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि स्थानीय निकाय द्वारा पास नक्शा से हटकर हुए निर्माण और बिना नक्शा स्वीकृति के हुए निर्माण को नियमित करके ऐसा करने वालों को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता. निर्माण के लिए नियमों का पालन किया जाना जरुरी है. अगर अदालत में ऐसे मामले आते हैं, तो अवैध निर्माण के प्रति नरमी गलत होगा.
शीर्ष अदालत ने यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा अवैध निर्माण को ध्वस्त किये जाने के फैसले को चुनौती देने के मामले में सुनवाई करते हुए की.
जस्टिस महादेवन ने आदेश दिया है कि गैरकानूनी तरीके से किये गए अवैध निर्माण को नियमित नहीं किया जा सकता.
उल्लेखनीय है कि रांची शहर में लाखों घर ऐसे हैं, जिनका निर्माण बिना नक्शा स्वीकृत कराये किया गया है. करीब आठ साल पहले रघुवर सरकार में ऐसे घरों को नियमित करने के लिए सरकार ने कदम बढ़ाये थे. हेमंत सरकार के पहले कार्यकाल में भी इस दिशा में आगे बढ़ते हुए नगर विकास विभाग के अधिकारियों ने कई बैठकें की थी. अब सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद यह सवाल उठने लगा है कि रांची के उन लाखों आवासों को नियमितिकरण की योजना का क्या होगा.
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