- झारखंड की पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना में दुमहानी नदी को नष्ट कर किया था अवैध खनन
Ranchi : भारत सरकार की महारत्न कंपनी एनटीपीसी पर 857 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड जुर्माना बरकरार रखा गया है. यह अब तक किसी भी सरकारी कंपनी पर लगाया गया सबसे बड़ा जुर्माना है यह मामला झारखंड के हजारीबाग जिले में एनटीपीसी की पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना से जुड़ा है. एनटीपीसी के माइंस डेवलपर ऑपरेटर (एमडीओ) त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड पर भारत सरकार के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की शर्तों का उल्लंघन कर अवैध खनन करने का आरोप है.
क्षेत्र की जीवनरेखा कही जाने वाली दुमहानी नदी को नष्ट कर किया खनन कार्य
दरअसल एनटीपीसी ने पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना के तहत दुमहानी नदी को नष्ट कर अवैध खनन किया था. क्षेत्र की जीवनरेखा कही जाने वाली दुमहानी नदी, जिसे सरकारी रिकॉर्ड में नाला के रूप में दर्ज किया गया है, की औसत चौड़ाई 20-30 मीटर थी. मंत्रालय ने इसे सुरक्षित रखने के लिए नदी के किनारे 50 मीटर ग्रीन बेल्ट निर्माण कराने का आदेश दिया था. लेकिन एनटीपीसी और उसके एमडीओ ने मंत्रालय की शर्तों का उल्लंघन करते हुए नदी को नष्ट कर खनन कार्य शुरू कर दिया.
उपसमिति की जांच में हुआ खुलासा
दुमहानी नदी को नष्ट कर अवैध खनन कार्य करने का खुलासा तब हुआ, जब एक्टिविस्ट मंटू सोनी ने इसकी शिकायत की. शिकायत पर कार्रवाई करते हुए भारत सरकार की एडवाइजरी कमिटी ने मामले की जांच के लिए एक उपसमिति का गठन किया था. उपसमिति ने क्षेत्र में खनन के प्रभाव का अध्ययन कर जांच रिपोर्ट एडवाइजरी कमिटी को सौंपी थी. जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि लगभग तीन किलोमीटर लंबी दुमहानी नदी को अवैध खनन के कारण नष्ट कर दिया गया. इसके बाद जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की गयी और एनटीपीसी पर भारत सरकार के वन संरक्षण अधिनियम के तहत 857 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका गया.
जुर्माने की राशि बरकरार, लेकिन मिली आंशिक राहत
एनटीपीसी ने इस जुर्माने के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) कोलकाता में अपील दायर की. हालांकि मंत्रालय की एडवाइजरी कमिटी ने जुर्माने की राशि को बरकरार रखा. लेकिन परियोजना के तहत पकवा और खोर्रा नाला के किनारे ग्रीन बेल्ट निर्माण के लिए संशोधन किया गया है.
एक्टिविस्ट की मांग, दोषियों पर हो सख्त कार्रवाई
एक्टिविस्ट मंटू सोनी ने एनपीसी पर लगाये गये जुर्माने को न्यायपूर्ण करार दिया. लेकिन इस कार्रवाई को पर्याप्त नहीं कहा उन्होंने अवैध खनन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और एमडीओ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. इसको लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की भी बात कही है.