Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने धनबाद के रंगुनी मौजा की 85 एकड़ जमीन पर सहारा इंडिया के दावे को खारिज कर दिया है. जस्टिस गौतम चौधरी की अदालत ने मामले को अवैध तरीके से लंबित रखने पर सहारा इंडिया पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने जमीन पर राज्य सरकार के दावे को भी खारिज करते हुए कहा कि उक्त जमीन प्रार्थी पाल ब्रदर्स की है. उक्त जमीन पर अशर्फी अस्पताल बन गया है. सरकार ने वर्ष 2019 में 11 एकड़ जमीन अस्पताल की दी थी. अदालत ने अस्पताल को यह छूट देते हुए कहा है कि वह राज्य सरकार से क्षतिपूर्ति की मांग कर सकता है. इस मामले में अदालत ने पूर्व में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सहारा इंडिया ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी
इस मामले में सहारा इंडिया की ओर से हाईकोर्ट में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दाखिल की गई थी. सहारा इंडिया ने दावा किया था कि उक्त जमीन वर्ष 2004 में निमाई चंद्र दत्ता सहित अन्य से खरीदी गयी थी. इसलिए इस पर उसका हक था. इस बीच मामले में राज्य सरकार ने कहा था कि उक्त जमीन गैराबाद (सरकारी) जमीन है. वर्ष 2019 में राज्य सरकार ने अशर्फी अस्पताल को 11 एकड़ जमीन दे दी.
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जमीन का मालिकाना हक पाल ब्रदर्स का
पाल ब्रदर्स की ओर से अधिवक्ता लुकेश कुमार ने अदालत को बताया कि वर्ष 1925 और 1931 में 85 एकड़ जमीन मोर्टगेज शूट के बाद खरीदी गयी था. इस बीच वर्ष 2004 में उक्त जमीन के साथ-साथ अन्य संपत्ति को दत्ता परिवार ने सहारा इंडिया व अन्य को बेच दिया. इसके बाद पाल ब्रदर्स ने निचली अदालत में टाइटल शूट दाखिल किया. जहां से उनके पक्ष में फैसला आया. इसके बाद सहारा इंडिया ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की. इस मामले में अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि उक्त जमीन न तो सहारा इंडिया की और न ही राज्य सरकार की है. इस पर मालिकाना हक पाल ब्रदर्स का है.
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