Adityapur (Sanjeev Mehta) : सोमवार को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जमशेदपुर परिसर में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के प्रौद्योगिकी थिंक टैंक टिफैक जलवायु परिवर्तन के संबंध में मंथन किया गया. भारत के लिए डीकार्बोनाईजिंग से संबंधित प्रौद्योगिकी की आवश्यकता का मूल्यांकन (TNA) पर विभिन्न उद्योग जगत, शैक्षणिक क्षेत्र और अनुसंधान संस्थान से जुड़े प्रबुद्ध लोग मौजूद थे. इसमें मुख्य रूप से चार उद्योग स्टील और सीमेंट से जुड़े उद्योग के संबंध में विचार मंथन हुआ. मंगलवार को एल्युमिनियम और उत्पादन उद्योग से संबंधित लोगों द्वारा विचार मंथन किया जाएगा.
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इस मंथन से भारत के जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव को संवारने के लिए प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं की पहचान की जानी है एवं उसका यथासंभव उपाय खोजना है. हार्ड-टू-एबेट सेक्टरों को डीकार्बराइज करने के लिए प्रौद्योगिकी को आकलन की आवश्यकता विषय पर विचार-मंथन हुआ. बैठक में टीआईएफएसी, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू, सेल, स्टार्ट-अप और अन्य इस्पात उद्योगों के मेहमानों और गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए. बैठक के दौरान मुख्य अतिथि प्रोफेसर प्रदीप श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक, टीआईएफएसी, नई दिल्ली और टीआईएफएसी के अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिक ने मंथन किया. सत्र की अध्यक्षता एनआईटी जमशेदपुर के निदेशक प्रोफेसर गौतम सूत्रधर ने की. वक्ताओं ने हार्ड-टू-एबेट क्षेत्रों को डीकार्बोनाइजिंग करने के लिए प्रौद्योगिकी की आवश्यकता के मूल्यांकन में प्रौद्योगिकी की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन करना, बाधाओं की पहचान करना और कार्बन उत्सर्जन को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए आवश्यक तकनीकी समाधान निर्धारित करने पर बल दिया.
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वक्ताओं में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. गौतम गोस्वामी, मुख्य महाप्रबंधक गुआ सेल के बिपिन कुमार गिरि, स्वागतो सुरजो दत्ता, सुमन कुमार, नितेश रंजन, विश्वजीत कुमार, अशोक मजूमदार, शिबोज्योति दत्ता, मनोज कुमार, गोपाल कृष्ण पुजारी, अनिमेष दास, डॉ एस रंगनाथन, संग्राम कदम, डॉ सरबेंदु सान्याल, अंकुल सेनापति, डॉ. टी. भास्कर, संजुक्ता चौधरी, डॉ. अरिजीत बी, डॉ. बी.एन. साहू, दिवाकर सिंह, प्रो. प्रदीप श्रीवास्तव, साकेत आनंद शामिल थे.