Ranchi: कोरोना ने कई लोगों की जिंदगी लील ली. संक्रमण की वजह से मरने वाले कई लोग ऐसे थे जो अपने परिवार की अंतिम और एकमात्र उम्मीद थे. कई बदकिस्मत ऐसे भी हैं जिनके सिर से मां-बाप दोनों का साया उठ गया. अब इन असहाय और बेसहारा बच्चों के पास कोई विकल्प नहीं है. लेकिन जिला प्रशासन ने राज्य सरकार के निर्देश पर ऐसे बेसहारा बच्चों को चिन्हित कर उनकी पूरी देखभाल की योजना बनाई है, जिनके सिर से मां-बाप दोनों का साया उठ चुका है, और वे बेसहारा हो चुके हैं. आश्चर्य की बात ये है कि रांची जिला प्रशाशन को पूरे जिले में अब तक सिर्फ 3 ही ऐसे बच्चे मिले हैं जिनके माता पिता की मृत्यु कोरोना के कारण हुई है. लेकिन शिशु प्रोजेक्ट के तहत काम कर रही डालसा ने अब तक करीब 12 ऐसे बच्चों को चिन्हित कर लिया है जिनके सिर से माता-पिता का साया उठ चुका है. जिला प्रशाशन द्वारा सिर्फ 3 बच्चों को चिन्हित किया जाना इस योजना के प्रति अधिकारियों की संजीदगी को दिखाता है.
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शिशु प्रोजेक्ट की शुरुआत झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश और झालसा के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस अपरेश सिंह ने तीन दिनों पूर्व ही की थी. जिसके तहत वैसे बच्चों को सहारा देने के लिए कार्य योजना बनायी जा रही है जिनके माता पिता दोनों की मृत्यु कोरोना की वजह से हो गई हो. तीन दिनों में ही डालसा ने अपने पारा लीगल वॉलेंटियर्स की मदद से ऐसे करीब दर्जन भर बच्चों को चिन्हित कर लिया जिन्हें मदद की जरूरत है. यह आंकड़ा 50 तक भी जा सकता है. डालसा के सचिव अभिषेक कुमार ने बताया कि झालसा के निर्देश पर शिशु प्रोजेक्ट पर पूरी तत्परता के साथ काम किया जा रहा है और ज्यादा से ज्यादा पीएलवी को यह निर्देश दिया गया है कि जरूरतमंद बच्चों को चिन्हित कर जरूरी अहर्ताओं को ध्यान में रख कर उन्हें इस योजना से जोड़ने पर काम किया जा रहा है, ताकि वैसे बच्चों के अभिभावक की भूमिका निभाएं जिन्होंने कोरोना काल में अपने परिजनों को खोया है. सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक विकास के लिए सभी पहलुओं पर विचार कर बच्चों को इस योजना से जोड़ा जा रहा है.