- क्या हैं अधिवक्ताओं के सपने, क्या है उनकी चाहत
Ranchi : हिंदी दैनिक शुभम संदेश की ओर से बुधवार को रांची प्रेस क्लब सभागार में आयोजित संगोष्ठी में अधिवक्ताओं का दर्द छलक पड़ा. उन्होंने खुल कर अपनी बात रखी. कहा, हम दूसरों को न्याय दिलाते हैं, पर खुद कई परेशानियों से जूझ रहे हैं. सरकार हमारी मदद करे और शुभम संदेश से अपेक्षा है कि वह हमारी आवाज उठाये.
हमारा झारखंड बिखरे हुए सपनों का राज्य : संजय विद्रोही
एक राज्य-एक अखबार का कंसेप्ट शानदार है. फिलहाल हमारा झारखंड बिखरे हुए सपनों का राज्य है. दुःख इस बात का है कि शीर्ष अधिकारी, नेता सब वकीलों की उपेक्षा करते हैं. उनकी बातों को अनसुना करते हैं. पत्राचार का जवाब भी नहीं मिलता. देश को आजादी दिलाने में वकीलों की अहम भूमिका रही, लेकिन झारखंड के सबसे बड़े सिविल कोर्ट का रास्ता भी अच्छा नहीं है. अब तक वकीलों के लिए अधिवक्ता भवन नहीं बना, यह जल्द बनना चाहिए. पता नहीं हम वकीलों के ये सपने कब पूरे होंगे पता नहीं. वकीलों को एकजुट होकर लड़ाई लड़नी होगी. क्रांति लानी होगी.
वकीलों को 10 लाख का बीमा कराये सरकार : धीरज कुमार
वकीलों का सपना होता है घर, सुरक्षा और एक अदद चैंबर. वकीलों के लिए सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है. ज्यादातर वकील आर्थिक रूप से कमजोर हैं. इसलिए उनकी सुरक्षा जरूरी है. सरकार वकीलों का 10 लाख का बीमा कराए. आईएएस-आईपीएस अफसरों को घर बनाने के लिए जमीन दी गयी, लेकिन वकीलों को सिर्फ जमीन का कागज देकर सपना दिखाया गया, फिर सपने को भी चकनाचूर कर दिया गया. जमीन आवंटन में वकील बंधु ही रोड़ा बन गए. बार और बेंच एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.
वकीलों के टेंट के नीचे काम करना पड़ रहा है: रिंकू भगत
चाईबासा और साहेबगंज में अधिवक्ताओं को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रहीं. कई वकील टेंट के नीचे काम करने को मजबूर हैं. बारिश की बूंदें उनके सपनों को अपने साथ बहा ले जाती हैं. महिला वकीलों के साथ-साथ पुरुष वकील भी कोर्ट परिसर में शौचालय की समस्या से जूझ रहे हैं. वकीलों को मिलनेवाली मेडिक्लेम की राशि में इजाफा करने की जरूरत है. कोर्ट फीस के साथ वेलफ़ेयर टिकटों के दाम भी बढ़ने चाहिए.
प्रशिक्षण कार्यक्रम भी होना चाहिए : सत्या सिंह
वकीलों में एकता होनी चाहिए. जिला बार और स्टेट बार काउंसिल में पारदर्शिता आनी चाहिए. वकील दूसरों की न्याय की लड़ाई लड़ते हैं, लेकिन अपनी बारी आती है तो पीछे रह जाते हैं. वकीलों के लिए आंदोलन करना किसी एक का काम नहीं है. वकीलों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी होना चाहिए, ताकि न्याय के क्षेत्र में जो नई चीजें हो रही हैं, उसकी जानकारी मिल सके. वकीलों के आंदोलन में सबका साथ नहीं मिलता. सबको साथ देने की जरूरत है, ताकि वकीलों के सपने पूरे हो सकें.
न्याय की राह में कई अड़चनें हैं : नीलम कुमारी
हाउस वाइफ से लेकर वकील बनने तक का सपना पूरा किया, लेकिन न्याय की राह में कई अड़चनें हैं. पुलिस ढंग से काम करे, तो लोगों को न्याय दिलाने में आसानी होगी. वकीलों की जो समस्याएं हैं, उसे दूर करने की जरूरत है. वकालत का पेशा भी जोखिम भरा है. सरकार को अधिवक्ताओं का बीमा कराना चाहिए.
वकीलों के लिए कॉमन मिनिमम एजेंडा हो : प्रणव बब्बू
पहली बार वकीलों के लिए इस तरह का कार्यक्रम हुआ. हम वकील संविधान के रक्षक हैं. वकीलों के लिए कॉमन मिनिमम एजेंडा बनना चाहिए. 1994 में एक वकील को बदमाशों ने छुरा मार दिया, हमने कोर्ट में धरना दे दिया. 47 दिनों तक कोर्ट का काम नहीं हुआ. उस वक्त अधिकारी डरते थे. आज माहौल बदल गया है. लेकिन वकीलों की एकता रही, तो सब कुछ संभव है. अलग राज्य की लड़ाई में भी वकीलों की भूमिका रही.
हमें भी घर उपलब्ध कराए सरकार : जितेंद्र कुमार
नये अधिवक्ता को काफी दिक्कतें होती हैं. उन्हें नैतिक रूप से सपोर्ट करने की जरूरत है, क्योंकि सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं मिलती है. पेपर लेस व्यवस्था पर कोर्ट परिसर में ध्यान देने की जरूरत है, ताकि सबकुछ पारदर्शिता से हो सके. वकीलों के लिए आवास, लाइब्रेरी की व्यवस्था बहुत जरूरी है.
एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट जरूरी : मो जाकिर
एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट बहुत जरूरी है, क्योंकि अब अधिवक्ताओं के साथ कई घटनाएं घट रही हैं. ऐसे में वकीलों को भी सरकार को पूरी सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए.
न्याय दिलानेवाले को ही न्याय नहीं मिलता : दीपेश निराला
मैं अधिवक्ता परिवार से ही हूं. अधिवक्ता समाज को न्याय दिलाने का काम करता है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि उसे ही न्याय नहीं मिल पाता है. कोरोना काल मे सबसे ज्यादा दुर्गति अधिवक्ताओं की हुई है. झारखंड सरकार से किसी योजना का लाभ नहीं मिलता और न फंड ही मिलता है . सरकार से गुजारिश है कि अधिवक्ता समाज को भी अपना समाज समझे और सुख-दुख का भी ख्याल रखे.
आवाज उठाने की आवश्यकता है : रविन्द्र कुमार
सबसे पहले शुभम संदेश को बहुत-बहुत शुभकामनाएं. एक अधिवक्ता का सपना तब शुरू होता है जब एलएलबी की पढ़ाई शुरू होती है. एक सपना समाज को न्याय दिलाने को लेकर शुरू होता है. लेकिन कई गरीब जूनियर अधिवक्ता स्टाइपन की सुविधा नहीं मिल पाने के कारण लाइसेंस नहीं ले पाते हैं. तब उसका सपना चूर हो जाता है और वह निराश हो जाता है. उनकी मदद करने की जरूरत है . 5% हाईकोर्ट में अधिवक्ता प्रैक्टिस करते हैं, तो वहीं 95% अधिवक्ता सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं . लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि एसी में बैठे अधिवक्ता गरीब को न्याय दिलाने पर ध्यान नहीं देते. स्टेट बार कौंसिल अगर अपनी मूलभूत कर्तव्य को समझ ले, तो यह सब कुछ निश्चित हो पाएगा. सरकार का ध्यान हम लोगों पर नहीं है. तेलंगना और उत्तर प्रदेश में जिस तरीके से अलग से बजट का प्रावधान अधिवक्ताओं के लिए किया गया है, यहां भी जरूरी है. लेकिन उसके लिए आवाज उठाने की आवश्यकता है.
सूरज किशोर प्रसाद
मिनिमम फीस की व्यवस्था अब तक लागू नहीं हुई. इससे वकीलों के पास केस भी आएंगे और आर्थिक रूप से वकील मजबूत होंगे.
दुर्गेश कुमार
अधिवक्ताओं के सपने कई हैं. उन सपनों को पूरा करने को लेकर आवाज उठाने के लिए मंच नहीं मिलता. मंच देने और हमारी आवाज उठाने के लिए धन्यवाद.
रेजिश रुंडा
वकीलों की एकता और उनकी सुरक्षा सबसे बड़ा सपना है. इस सपने को पूरा करने के लिए एकजुट होकर लड़ाई लड़नी होगी. युवा अधिकवक्ताओं के सामने कई चुनौतियां हैं.
बबलू सिंह
झारखंड अब युवा राज्य हो चुका है. युवा वकीलों में भी उत्साह है और उनके मन में भी कई सपने हैं .सभी शीर्ष नेतृत्व युवाओं पर खास ध्यान दें, ताकि न्याय के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी युवा अपना करियर बना सके. वकीलों का शीर्ष नेतृत्व उनके लिए नहीं सोचेंगा, तब तक अधिवक्ताओं के सपने अधूरे रहेंगे.
प्रकाश सिंह
शुभम संदेश के इस कार्यक्रम में बहुत सारे अधिवक्ताओं ने अपनी बातों को रखा. लेकिन हमलोग भी चर्चा करते हैं. फिर भूल जाते हैं . सरकार का ध्यान पूरी तरह से आकर्षित नहीं करा पाते. इस विषय पर सोचने की जरूरत है. गांव स्तर में न्याय मित्र बहाल करने की सरकार से मांग करते हैं, ताकि युवा अधिवक्ता को रोजगार मिल सके.
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