अलग-अलग जगह हुआ छह घरों के चिरागों का अंतिम संस्कार
मौज-मस्ती में बुझ गए छह घरों के चिराग, कोई कोस रहे थे किस्मत को, तो कोई अभिभावक और स्कूल प्रबंधन को ठहरा रहे थे लापरवाह
हजारीबाग में भी एनडीआरएफ टीम की उठने लगी मांग
रोते-बिलखते रहे परिवार, झारखंड से बिहार तक अश्रुधार
Hazaribagh: अलग-अलग जगहों पर छह घरों के चिरागों का बुधवार को अंतिम संस्कार हुआ. इस दौरान पूरा हजारीबाग रो उठा. लोग कह रहे कि मौज-मस्ती ने छह घरों के चिराग बुझा दिए. अंतिम यात्रा के दौरान हजारीबाग के लोटवा डैम में डूब कर जान गंवाने वाले छह किशोरों के परिवार रोते-बिलखते रहे. किसी का अंतिम संस्कार हजारीबाग स्थित खीरगांव के मुक्तिधाम में हुआ, तो किसी का पदमा के बनगावां में. मृत छात्र रजनीश पांडेय के शव को गया स्थित पैतृक गांव ले जाया गया. वहीं, मयंक सिंह का श्राद्धकर्म गया स्थित लोधवा गांव से होगा. इस तरह झारखंड से बिहार तक परिजनों के अश्रुधार थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. इस मामले में लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर मौत का यह हृदयविदारक सफर कैसे और कब थमेगा. सिझुआ के मुखिया रंजीत मेहता और लोटवा के मुखिया सतेंद्र कहते हैं कि यहां एनडीआरएफ की टीम होनी चाहिए. वहीं अभिभावकों को भी अपने बच्चों की हर छोटी-बड़ी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित रखने की जरूरत है.
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सदमे में है सोनू, न खा-पी रहा, न कुछ बोल रहा
सोनू कुमार भी अपने छह मित्रों के साथ लोटवा डैम गया था. लेकिन, किस्मत ने साथ दिया और वह बच गया. मंगलवार देर शाम उसका बयान थाने में दर्ज किया गया. इसमें उसने बताया कि दो छात्र डूब रहे थे. उसे ही बचाने के लिए चार अन्य छात्र भी आगे बढ़ गए. वे भी डूबने लगे. जब छह दोस्तों को डूबते हुए देखा, तो वह भी बचाने के लिए पानी में उतर गया. लेकिन, वह भी डूबने लगा. ऐसे में वह हाथ पैर मारा, तो उसका पैर जमीन पर पड़ गया. इससे वह डूबने से बच गया. घर आने के बाद सोनू कुमार सदमे में है. वह न तो खाना खा रहा है और न ही किसी से बात कर रहा है. उसके घर वाले उसके साथ हमेशा रह रहे हैं. उसके एक परिजन ने बताया कि रात भर वह सोया भी नहीं और एक कोने में बैठा रहा. यही नहीं सुबह से शाम तक एक निवाला तक नहीं लिया है. रोते-रोते उसकी तबीयत खराब हो गई है. घरवाले भी काफी परेशान हैं कि कैसे उसे सदमे से बाहर निकाला जाए. घरवालों का कहना है कि एक बहुत बड़ी घटना से ऊपर वाले ने सोनू को बचा लिया. वह माैत के मुंह से बचकर निकला है. लेकिन जो घटना घटी है, उसे वह शायद जीवन भर न भूल पाए.
पोते को मुखाग्नि दे फफक उठे दादा पशुपति
मृत छात्र मयंक कुमार का अंतिम संस्कार खीरगांव स्थित मुक्तिधाम में किया गया. वहां उनके दादा पशुपति सिंह ने मुखाग्नि दी. पोस्टमार्टम करने के बाद मयंक का शव मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रखा गया था. उनके भाई चेन्नई से अनीश कुमार हजारीबाग पहुंचने के बाद शव को घर लेकर आए. महज आधे घंटे के अंदर ही अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम निकल गए. शव के आते ही परिवार के लोगों के चीत्कार से पूरा मोहल्ला दहल उठा. मयंक की मां राखी देवी बेहाल हैं. बेटे के शव से लिपटकर रोने लगी. वह बार-बार यही कहकर फूट-फूट कर रो रही थी कि अगर इलाज के लिए वेल्लोर नहीं जाती, तो शायद ऐसा नहीं होता. दरअसल, मयंक की मां राखी देवी, पिता अशोक सिंह और उसकी दादी इलाज के लिए वेल्लोर गई थीं. जैसे ही वह रांची पहुंची, तो उन्हें घटना कि जानकारी मिली. बदहवास हालत में रांची से घटनास्थल पर पहुंचीं. किसी तरह उन्हें घर लाया गया.
मां-बाप का कलेजा फट पड़ा
शव पहुंचते ही वह फूट पड़ीं. मां का कलेजा फट गया. दूसरी ओर पिता अशोक सिंह भी बेहोश हो गए. ऐसे में स्थानीय लोगों और उनके परिवार वालों ने उन्हें ढांढ़स बनाया और अंतिम संस्कार के लिए तैयारी की गई. लगभग 70 वर्षीय दादा पशुपति सिंह की भी स्थिति खराब हो गई. कभी वह अपने बेटे, तो कभी अपने पोते का चेहरा देखते रहे. अंतत: उन्होंने तय किया कि अपने पोते को मुखाग्नि खुद देंगे. दोपहर लगभग दो बजे के आसपास हजारीबाग पोस्टमार्टम हाउस से शव मटवारी स्थित उनके घर के लिए निकला और 2:40 बजे अंतिम संस्कार के लिए खीरगांव के लिए निकल गया. जानकारी के अनुसार, अंतिम संस्कार के बाद कर्मकांड उनके पैतृक आवास बिहार के लोधवे गांव गया से किया जाएगा. परिवार वाले हजारीबाग में अंतिम संस्कार करने के बाद गया के लिए रवाना हो जाएंगे. मौके पर वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह, झामुमो नेता दिलीप वर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता अखौरी ब्रजेश सहाय, जदयू नेता अनिल सिंह समेत कई लोगों ने गहरी संवेदना जताते हुए अंतिम संस्कार में सहयोग किया.
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मौत का डैम लोटवा में पसरा रहा मातमी सन्नाटा
30 फीट गहरा मौत का डैम लोटवा में बुधवार को सन्नाटा पसरा हुआ है. वहां दिन भर में कोई ना कोई व्यक्ति आते-जाते दिख जाता था. गांव के लोग लकड़ी चुनने के लिए पहुंचते थे. लेकिन आज कोई भी व्यक्ति डैम की ओर नहीं दिख रहा था, मानो ऐसा कि डैम इंसान को निगल लेगा. लोटवा, पंडवा, परासी, चीहू, दाउजीनगर आदि में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है. आसपास के ग्रामीण कहते हैं कि रात भर मानो ऐसा लग रहा था कि कोई आवाज दे रहा है. बहुत ही भय और खौफनाक मंजर देखा है. एक के बाद एक छह शव का निकलना दिल दहलाने वाली घटना थी. अब गांव के लोग चाहते हैं कि उसे जगह पर एक प्रहरी भी लगाया जाए, जो लोगों को आने-जाने से रोके. साथ ही साथ गांव के लोगों ने यह भी तय किया है कि स्कूल के बच्चों को जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी.
स्कूल प्रबंधन पर लगाया लापरवाही का आरोप
केरेडारी। मटवारी में ही रहनेवाले केरेडारी के पेटो निवासी शंकर रजक के पुत्र शिव सागर का अंतिम संस्कार पैतृक गांव में किया गया. मृत छात्र के पिता शंकर रजक ने बताया कि प्रिंसिपल की लापरवाही के कारण उनके बच्चे की जान चली गई. उन्होंने प्रिंसिपल को पहले ही आगाह किया था कि उनका बच्चा अगर क्लास में नहीं जाता है, तो उन्हें सूचना देंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जब उनका बच्चा स्कूल नहीं गया, तो प्रिंसिपल ने उन्हें सूचना देने की आवश्यकता नहीं समझी. अपराह्न 12: 30 बजे सूचना दी गई कि लोटवा डैम में डूब कर उनके बेटे की मौत हो गई है. वह प्रिंसिपल पर कानूनी कार्रवाई करेंगे.
पैतृक गांव में हुआ प्रवीण का अंतिम संस्कार
बरही। लोटवा डैम हादसे में जान गंवाने वाले माउंट एग्माउंट के छात्र पदमा प्रखंड के बनगावां निवासी द्वारिका प्रसाद यादव के पुत्र प्रवीण कुमार यादव का अंतिम संस्कार पैतृक गांव के श्मशान में किया गया. पोस्टमार्टम के बाद मृतक का शव मंगलवार देर संध्या 7:30 बजे उनके आवास बनगांव पहुंचा. शव घर पहुंचते ही मृतक के परिजन दहाड़ मार कर रो रहे थे. बेटे का शव देख मां सुध खो रही थी. पूरे गांव में मातम छाया रहा. भीड़ में हर एक की आंखों से आंसुओं के सैलाब ढल रहे थे. मृतक के पिता द्वारिका प्रसाद यादव को भी इस घटना की सूचना बीते कल ही मिल चुकी थी. वह मुंबई में थे. मौके पर चौपारण-2 के जिला परिषद सदस्य रवि शंकर अकेला, सांसद प्रतिनिधि गणेश यादव, भाजपा जिला उपाध्यक्ष रमेश ठाकुर, मुखिया प्रतिनिधि विशेश्वर यादव व राजन ओम, विहिप जिला सह मंत्री गुरुदेव गुप्ता, मनान वारसी, पूनम यादव, नागेश्वर यादव शोकाकुल परिजनों से मिले और गहरी संवेदना व्यक्त की. प्रवीण, दो भाइयों में बड़ा था. पिता 20 वर्षों से मुबई में कारोबार कर रहे हैं. उनका हजारीबाग के दीपूगढ़ा में भी अपना घर है. जहां उन दोनों भाइयों की पढ़ाई हो रही थी.
पहले भी डूबने से हो चुकी है कई बच्चों की मौत
वर्ष 2021 में पेलावल थाना क्षेत्र के गदोखर बाली बांध में पांच बच्चों की डूबने से मौत हो गई थी.
वर्ष 2022 में मेरू में नहाने के दौरान तीन बच्चों की तालाब में डूबने से मौत हो गई थी.
पांच माह पहले लारा नदी में सेल्फी लेने के दौरान डूबने से एक बच्चे की मौत हो गई थी.
सात मार्च को इचाक थाना क्षेत्र के मदनपुर गांव में डोभा में डूबने से दो बच्चों की मौत हो गई थी.
चौपारण के बछई में कर्मा पूजा के दूसरे दिन तीन लड़कियों की बराकर नदी में डूबने से मौत हो गई थी.
बड़कागांव के विश्रामपुर में बदमाही बड़की नदी के किनारे गड्ढे में जमा पानी में डूबने से मौत हो गई थी.
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