Dharam Veer
अर्नब गोस्वामी कांड पर मेनस्ट्रीम मीडिया की चुप्पी अपेक्षित ही है. लेकिन हम तो फिर भी पूछेंगे ? अर्नब का इतना खौफ क्यूं है? उसने जिनको खुलेआम बेवकूफ और कचरा तक बोल डाला, लेकिन इनके मुंह से उफ़ तक नहीं निकल पा रहे. देश के आम नागरिक के हलक में माइक और उसके बेडरूम में कैमरा लगा देने वाली चंडाल मंडली के मुंह से अर्नब के ख़िलाफ़ एक ट्विटर पोस्ट तक नहीं लिखी जा रही. इतनी बेशर्मी ?
दो-दो महीने तक चटकारे ले-लेकर देश के आम टैक्स पेयर्स की एक दो पेज़ की व्हाट्स एप चैट को निकालकर पढ़ने और उनके ऊपर घंटों अपने बायस्ड पेनलिस्ट्स से बहस करवाने वाले एंकर अब कहां हैं? उनके ख़ुद के बीच का ही एक तथाकथित पत्रकार और उसके कांड बेपर्दा हो चुके हैं.
पूरे 512 पेज़ की ख़तरनाक दावों से भरी व्हाट्स एप चैट पब्लिक डोमेन में है. तब भी इतना सन्नाटा क्यूं ? दो महीने ना सही दो दिन भी तो कार्यक्रम चलाओ इस पूरे नेटवर्क के ऊपर?
बताओ आम जनता को कि जब देश के 40 वीर जवान पुलवामा हमले में शहीद हो गए थे. तो अर्नब अट्टहास कर रहा था. कह रहा था कि हमने इस हमले को बेहतरीन तरीक़े से कैश किया. हमें इस हमले के पश्चात् शानदार TRP मिली है. दावा कर रहा था कि सत्ताधारी पार्टी इस हमले को कैश करने में कोई कसर बाक़ी ना छोड़ेगी.
इस देश के वीर जवानों की जान इतनी सस्ती है. इसकी नज़र में कि TRP जैसी टुच्ची चीज को पाते ही यह खुश हो गया. इतने बड़े संकट के समय में सत्ताधारी दल के चुनाव स्वीप कर लेने वाला ऐसा सस्ता दावा वो क्यूं कर रहा था ? बताते क्यूं नहीं कि क्या चल रहा था उसके दिमाग़ में.
बताओ आम जनता को कि जब देश की वीर सेना दुश्मन देश पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की प्लानिंग कर रही थी, तो अर्नब उस प्लानिंग के बारे में अपने दलाल और आपराधिक प्रवृत्ति के यार दोस्तों को व्हाट्स एप भेजकर सूचित कर रहा था. देश की वीर सेना जब अपनी जान पर खेलकर देश की आन- बान-शान को बचाने का प्रयास कर रही थी. तब अर्नब एक दल विशेष की सीटों के बढ़ने और चुनाव स्वीप कर लेने के गणित को अपने दलाल मित्रों के साथ कलकुलेट कर रहा था.
बताओ आम जनता को कि ऐसी आशंका है कि अर्नब गोस्वामी क़ी तरह ही बाक़ी के कुछ मीडियाई लोगों को भी बालाकोट एयर स्ट्राइक के बारे में पहले से जानकारी हो चुकी थी. यह जानकारी अर्नब ने कितनों को दी इसके बारे में अभी कुछ भी नहीं पता. लेकिन अगर अर्नब यह सब जानता था तो अर्नब के लेवल वाले बाक़ी के कई और लोग ऐसा नहीं जानते होंगे, यह यक़ीन करना मुश्किल नहीं है.
बताओ आम जनता को कि अर्नब किस तरह से अपने यार दोस्तों के सामने बार-बार PMO जाने और PM से मिलने की डींगे हांका करता था. जितना हमें याद है उस लिहाज़ से अर्नब ने PM साहब के दो या तीन से ज़्यादा इंटरव्यू नहीं किए. तो फ़िर वह इतना फ़्रीक्वेंटली PM साहब से क्यूं मिलता था ? बताओ कि अर्नब ने कितनी बार इस चैट में लिखा है कि देश की कैबिनेट में कौन मंत्री बना रहेगा और कौन अपने पद से हाथ धो बैठेगा. इसके बारे में उसे सब पता है.
बताओ आम जनता को कि अर्नब देश के सूचना और प्रसारण मंत्री के बारे में अनगिनत फ़र्ज़ी दावे अपने यार दोस्तों के सामने करता था. एक, दो बार तो वह मंत्रियों के यूज़लेस होने का दावा भी छाती ठोककर करता था.
बताओ आम जनता को कि देश के पूर्व वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली जी को वह एक फ़ेल्ड मंत्री मानता था. अर्नब की नज़र में जेटली जी के कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था गर्त में चली गई थी.
अर्नब को लगता था कि जितनी जल्दी जेटली जी को मंत्रालय से हटा दिया जाएगा उतना देश के लिए बेहतर होगा.
बताओ, आम जनता को कि अर्नब का दावा था कि उसके चैनल के बारे में की जाने वाली शिकायत के बारे में ख़ुद देश के सूचना और प्रसारण मंत्री अर्नब को सूचित कर देते थे. साथ ही वह अर्नब को इस बात की गारंटी भी देते थे कि उसके चैनल का कुछ नहीं बिगड़ेगा. इतना बड़ा दावा अर्नब क्यूं कर रहा है.
क्योंकि मंत्री जी ने तो पद और गोपनीयता की शपथ ली होती है. संभव नहीं है कि मंत्री जी किसी तरह से गोपनीयता भंग करेंगे. अर्नब का दावा सच हो तो मंत्री जी जानें.
बताओ, आम जनता को कि अर्नब एक दूसरे चैनल की महिला एंकर के लिए किस तरह के चीप शब्दों का इस्तेमाल अपने दलाल साथियों के सामने करता है. बताओ कि अर्नब की नज़र में दूसरे चैनलों के मालिकान की क्या औक़ात है. वह किस कैलीबर के लोग हैं.
बताओ, आम जनता को कि अर्नब के लिए कंगना रनौत सिर्फ़ और सिर्फ़ TRP पाने का ज़रिया थी और कुछ नहीं. बताओ कि अर्नब के लिए इस देश का हर शख़्स चलता फिरता TRP बॉक्स है और कुछ नहीं. दरअसल पूरा देश ही ATM मशीन है अर्नब के लिए.
बताओ, आम जनता को कि अर्नब के पास इतनी ताक़त कहां से आई कि वह देश के सम्मानित मंत्री और उनके मंत्रालयों के बारे में ऐसे ऐसे दावे करता है कि सुनकर यक़ीन करना मुश्किल होता है.
बताओ ज़रा कि अर्नब और भारत सरकार के बीच में क्या रिश्ता है, जो वह मंत्री पदों के निर्धारण तक में अपनी भूमिका तलाश रहा था.
सबको पता है कि मेरी पोस्ट में लिखे गए किसी भी मुद्दे को उठाने और आम जनता को समझाने का जिग़र इस देश की मीडिया में नहीं है. क्योंकि अब वह सिर्फ पालतू बन कर रह गई है. ना ही वो अर्नब से कुछ पूछ पाएंगे और ना ही अर्नब के व्हाट्स एप चैट बाहर आने के पश्चात् मज़ाक़ बन चुके जीवित व्यक्तियों से. हां संभव है कि जो व्यक्ति मर चुके हैं उनके बारे में फ़िर कुछ फ़र्ज़ीवाड़ा चला दें. क्यूंकि आज की मीडिया को फ़र्ज़ीवाड़े से ज़्यादा कुछ और आता ही नहीं है. आज के इस देशद्रोही और आम जनता के दुश्मन मीडिया की औक़ात केवल कमज़ोर को सताने और ताकतवर की चाटुकारिता करने भर की बची है.
डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं.