UttarPradesh : उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा मार्गों पर मौजूद सभी फलों की दुकानों, भोजनालयों, रेस्टोरेंट के मालिकों की ‘नेमप्लेट’ लगाने का आदेश दिया. योगी के फैसले को लेकर सियासत शुरू हो गयी है. सत्तापक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर वार-पलटवार करने में लगे हैं. इस बीच बाबा रामदेव ने योगी के इस आदेश का समर्थन किया है. योग गुरु ने कहा कि अगर रामदेव को अपनी पहचान बताने में कोई दिक्कत नहीं है तो रहमान को अपनी पहचान बताने में क्या दिक्कत होनी चाहिए? हर किसी को अपने नाम पर गर्व होना चाहिए. नाम छिपाने की जरुरत नहीं है, सिर्फ काम में शुद्धता की जरुरत है. अगर हमारा काम शुद्ध है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम हिंदू हैं, मुसलमान हैं या किसी और समुदाय से हैं. बता दें कि यूपी सरकार के इस पहल के बाद उत्तराखंड सरकार ने भी तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली फलों की दुकानों, भोजनालयों पर मालिक का नेमप्लेट लगाने को लेकर आदेश जारी किया है.
#WATCH | Haridwar: On 'nameplates' on food shops on the Kanwar route in Uttar Pradesh, Yog Guru Baba Ramdev says, "If Ramdev has no problem in revealing his identity, then why should Rahman have a problem in revealing his identity? Everyone should be proud of their name. There is… pic.twitter.com/co47Ki6CrJ
— ANI (@ANI) July 21, 2024
विपक्षी दल योगी के इस आदेश की कर रहे आलोचना, सहयोगी दल ने भी फैसले को गैर-जरूरी बताया
एक तरफ जहां सत्ता पक्ष के लोग योगी के फैसले का समर्थन कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ विपक्षी पार्टी सीएम योगी द्वारा जारी फरमान का विरोध व आलोचना कर रहे हैं. कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों का कहना है कि पहले भी कांवड़ यात्राएं होती आयी हैं, लेकिन अभी इस तरह का नियम लाकर राज्य सरकार वर्ग विशेष को निशाना बना रही है. समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं. सरकार शांतिपूर्ण माहौल को खराब करना चाहती है. यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी योगी के इस आदेश को असंवैधानिक बताया. उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने चुनावी लाभ के लिए कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान मालिकों को अपना पूरा नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया है. कांग्रेस की यूपी इकाई के प्रमुख अजय राय ने भी फैसले की निंदा करते हुए कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार लोगों के बीच दूरियां पैदा करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने सरकार से इस फैसले को तुरंत रद्द करने की मांग की. विपक्ष ही नहीं भाजपा के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल, जनता दल यूनाइटेड और लोजपा (आर) ने भी योगी सरकार के इस फैसले को गैर-जरूरी बताया है.
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