Bahragora (Himangahu karan) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह नारा “बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ” जितना लुभावना है, उतना ही जरूरी. झारखंड सरकार भी बेटियों को पढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही है. ऐसे में बहरागोड़ा प्रखंड कार्यालय से सटे प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय का हाल देखिए. 146 छात्राओं पर सिर्फ एक ही शिक्षक हैं. स्कूल परिसर में चार साल पूर्व 1.40 करोड़ की लागत से निर्मित बालिका छात्रावास सुविधाओं के अभाव में बेकार पड़ा है. ऐसे में मिस्टर शिक्षा मंत्री! जब विद्यालय में एक ही शिक्षक हैं और छात्रावास को चालू करने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं तो फिर गांव की बेटियां कैसे पढ़ेंगी? यह तो विद्यालय के एकमात्र शिक्षक की मेहनत बेटियों के लगन का ही परिणाम है कि इस साल मैट्रिक की परीक्षा में यहां की छात्राओं का रिजल्ट 94% रहा.
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विद्यालय में शिक्षकों का पद 10 लेकिन पदस्थापित एक
इस विद्यालय में कक्षा 9 और 10 की पढ़ाई होती है.आसपास के गांवों की छात्राएं साइकिल से यहां पढ़ने के लिए आती हैं. इस विद्यालय में शिक्षकों का सृजित पद 10 और एक प्रधानाध्यापक है, परंतु सिर्फ एक ही शिक्षक सत्य सारथी माइती पदस्थापित हैं. सत्य सारथी माइती ही प्रधानाध्यापक हैं. कंप्यूटर ऑपरेटर के सहयोग से वे छात्राओं को पढ़ाते हैं. विषय वार शिक्षक नहीं होने से छात्राओं को पढ़ाई में कठिनाई होती है. विद्यालय में साइकिल स्टैंड भी नहीं है. छात्राओं को अपने साइकिलें खुले आसमान के नीचे रखनी पड़ती हैं. विद्यालय में कमरों का भी अभाव है. परंतु इन सब समस्याओं के बावजूद यहां शिक्षकों का पदस्थापन अति आवश्यक माना जा रहा है. परंतु इस दिशा में सब कुछ जानते हुए भी शिक्षा विभाग मौन है. प्रधानाध्यापक सत्य सारथी माइती कहते हैं कि शिक्षकों की कमी से पढ़ाई में परेशानियां हो रही हैं. अगर छात्रावास चालू हो जाता तो विद्यालय में छात्राओं की संख्या भी बढ़ जाती.
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2017-10 में 100 बेड वाले बालिका छात्रावास की स्वीकृति मिली
विद्यालय परिसर में शिक्षा विभाग के तहत वर्ष 2017- 18 में 1.40 करोड़ की लागत से 100 बेड वाले बालिका छात्रावास की स्वीकृति मिली. इसका शिलान्यास सांसद विद्युत वरण महतो और बहरागोड़ा के तत्कालीन विधायक कुणाल षाड़ंगी ने 18 अगस्त 2017 को शिलान्यास किया. निर्धारित समय पर छात्रावास का निर्माण पूरा हो गया और 4 साल पूर्व भी शिक्षा विभाग को हैंड ओवर हो गया. परंतु इसमें किसी तरह की सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई. नतीजतन इसमें एक भी छात्रा नहीं रहती है. चार साल से यह छात्रावास भवन बेकार पड़ा हुआ है और इसका रंग भी उतरने लगा है. अगर यह छात्रावास चालू होता तो छात्राओं को पढ़ाई करने में सुविधा होती और विद्यालय में छात्राओं की संख्या में भी वृद्धि होती. परंतु इस छात्रावास को चालू करने की दिशा में पहल नहीं हो रही है. अगर यही हाल रहा तो आलीशान छात्रावास भवन बर्बाद हो जाएगा.