Ranchi : पलामू जिला के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में 8 जून 2015 को हुई बहुचर्चित कथित पुलिस नक्सली मुठभेड़ केस में जवाहर यादव ने सीबीआई कोर्ट में आवेदन दाखिल किया है. शनिवार को इस केस की सुनवाई के लिए सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में तारीख मुक़र्रर थी, लेकिन किसी वजह से केस की सुनवाई नहीं हो पायी. अब इस केस की अगली सुनवाई 30 मई को होगी. शनिवार को जवाहर यादव द्वारा कोर्ट में आवेदन देकर सीबीआई द्वारा दाखिल की गई क्लोजर रिपोर्ट की कॉपी मांगी गई. जवाहर यादव मुठभेड़ में मारे हुए उदय यादव के पिता हैं. इस मामले में सीबीआई ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी है.
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झारखंड हाइकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने दर्ज की थी प्राथमिकी
बता दें कि बकोरिया में आठ जून 2015 को हुई कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के मामले में सीबीआई दिल्ली ने प्राथमिकी दर्ज की थी. यह प्राथमिकी झारखंड हाइकोर्ट के 22 अक्टूबर 2018 को दिए आदेश पर दर्ज की गयी थी. इस घटना में पुलिस ने 12 नक्सलियों को मुठभेड़ में मारने का दावा किया था. मृतकों के परिजनों ने इसे फर्जी मुठभेड़ बताते हुए हाइकोर्ट में सीआईडी की जांच पर सवाल उठाते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी. सीबीआई ने पलामू के सदर थाना कांड संख्या 349/2015, दिनांक 09 जून 2015 के केस को टेकओवर करते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी.
डॉ आरके के अलावा किसी का कोई नक्सल रिकॉर्ड नहीं था
कथित पुलिस नक्सली मुठभेड़ में मारे गये 12 लोगों को पुलिस ने माओवादी बताया और अपनी पीठ थपथपा ली. शर्मनाक यह रहा कि पुलिस ने इस मुठभेड़ के बदले इनाम भी बांटे. लेकिन कुछ ही दिनों में यह मुठभेड़ सवालों के घेरे में आ गया. तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास और डीजीपी डीके पांडेय पर फर्जी एनकाउंटर कराने का आरोप लगने लगा. काफी हो-हंगामे के बाद मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गयी. लेकिन पांच साल बीतने के बाद भी मुठभेड़ में मारे गये लोगों के परिजनों को इंसाफ नहीं मिल पाया है. पुलिसिया जांच में यह बात सामने आयी थी कि मारे गये 12 लोगों में से सिर्फ डॉ आरके उर्फ अनुराग के अलावा किसी का कोई नक्सल रिकॉर्ड नहीं था.
तत्कालीन डीजीपी ने बिना जांच की बांटी थी इनाम की राशि
बकोरिया में हुए कथित मुठभेड़ में 12 लोगों के मारे जाने की घटना के बाद अगले दिन नौ जून 2015 की सुबह तत्कालीन डीजीपी डीके पांडेय, तत्कालीन एडीजी अभियान एसएन प्रधान, स्पेशल ब्रांच के एडीजी अनुराग गुप्ता समेत अन्य सीनियर पुलिस अफसर हेलीकॉप्टर से बकोरिया पहुंचे थे. वहां मरे हुए लोगों को नक्सली घोषित कर अफसरों ने फोटो खिंचवाई थी. वहीं डीजीपी ने वहां मौजूद जवानों के बीच लाखों रुपये नकद इनाम के तौर पर बांटे थे.
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