आज भी याद किया जाता है होपन मॉंझी और उनके पुत्र लक्ष्मण का स्वदेश प्रेम
Bermo / Aanant Kumar
आज़ादी की लड़ाई में गोमिया के लोग भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिए थे. आजादी के इन दीवानों को इस कोयला क्षेत्र में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे, ऐसे ही एक स्वतंत्रता सेनानी थे गोमिया के होपन मॉंझी और उनके पुत्र लक्ष्मण. इन दोनों बाप-बेटों ने आजादी की लडाई में अग्रणी भूमिका निभाई थी. इनके अलावा गोमिया के सुखदेव प्रसाद, विद्या शंकर तिवारी, महादेव महतो, मो0 यासीन, रामदास, सरयू कान्दु, लालधारी कान्दू, रामेश्वर पाण्डेय, डोका महतो, सर्वजीत शर्मा सरीखे लोगों ने कांग्रेस के इस मुहिम में अपना योगदान देकर गोमिया को गौरवान्वित किया है.
गांधी जी छुपकर पहुंचे थे गोमिया
23 जून 1930 को होपन मॉंझी को हजारीबाग सेंट्रल जाना पड़ा था. दरअसल कोर्ट ने होपन मॉंझी पर दो हजार रूपये की जुर्माना लगाया और कहा कि वर्णित राशि जमा करो अन्यथा एक साल का कारावास झेलना पड़ेगा. होपन मॉंझी एक साल की सजा काटना पसंद किया लेकिन जुर्माना नहीं दिया. जब इस बात की जानकारी गांधी जी को हुई तो उन्होंने 1945 में गोमिया के करमाटांड गॉंव आकर सभा की. इस संबंध में होपन मांझी के परिजन बताते हैं कि किस तिथि को गॉंधी आये थे इसकी जानकारी दुरूस्त नहीं है, मगर जिस घर में गॉंधी जी रात्रि विश्राम किये थे, उस घर को देख हम आज भी गौरवान्वित होते हैं. उनके वंशज बाबूदास कहते हैं कि गॉंधी जी की सभा में सैकडों लोगों ने भाग लिया था. सभा समाप्ति के बाद कुछ लोगों को प्यास लगी तो बापू ने होपन से कहा कि पानी की व्यवस्था करो. सभी आन्दोलनकारी होपन मांझी के घर पर पहुंचे थे और जलपान किया था. सभा समाप्त करने के बाद गॉंधी जी ने रा़त्रि विश्राम किया और दूसरे दिन शाम को अंग्रेजों से छिप कर उन्हें बैलगाडी में बिचाली डालकर गोमो पहॅुचाया गया था.
होपन मांझी के पुत्र लक्ष्मण को बनाया गया था एमएलसी
देश आजाद होने के बाद होपन मांझी के पुत्र लक्ष्मण मांझी को एमएलसी बनाया गया. होपन मॉंझी के वंशज मीना देवी आज भी अपने पुराने घर में ही रहती हैं. वैसे उसे प्रधानमंत्री आवास मिला है. होपन मांझी के वंशज बडे ही उत्सुकता के साथ बताते हैं कि गॉंधी जी की जरूरत जितनी उस समय थी, आज उनके विचार और दर्शन की आवश्यकता उससे ज्यादा है. लक्षमण मांझी के पुत्रवधु आज भी जीवित है.
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