BISMAY ALANKAR
Hazaribagh: हजारीबाग के कटकमदाग प्रखंड के कुसुम्भा पंचायत में एनटीपीसी के रेलवे साइडिंग पर NGT कोर्ट का एक फैसला आया है. NGT ने स्पष्ट आदेश दिया है कि 3 महीने के अंदर कन्वेयर बेल्ट से कोयले की ढुलाई सुनिश्चित की जाए. प्रदूषण विभाग के जो भी मानक हैं उन मानकों का पालन कड़ाई से हो, यह भी प्रदूषण विभाग सुनिश्चित करे. कुसुम्भा में चलने वाले इस रेलवे साइडिंग से इसके आसपास के 5 गांव कुसुम्भा, उदरना, फतहा, सिरका और सिसोइ गांव अधिक प्रभावित थे. स्थानीय जनप्रतिनिधि प्रियंका कुमारी जो जिला परिषद सदस्य हैं. और ग्रामीणों ने इसकी शिकायत कई बार जिला स्तर पर की थी. कई बार धरना प्रदर्शन भी हुए. स्थानीय प्रशासन ने जब कोई कार्रवाई नहीं की तो मामला NGT पहुंच गया. हजारीबाग के पत्रकार त्रिपुरारी सिंह ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी में एक मामला 61/2019 दायर किया. एनजीटी की टीम ने 27 सितंबर 2020 को हजारीबाग प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया. 5 सदस्यीय दल में दो एनजीटी के लोग थे दो राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य और एक याचिका दायर कर्ता त्रिपुरारी सिंह थे.
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5 सदस्यीय टीम ने प्रभावित क्षेत्र का लिया था जायजा
हजारीबाग के जिलाधिकारी आदित्य कुमार आनंद के साथ टीम ने प्रदूषण की क्या स्थिति है. इसका जायजा कोयला साइडिंग के आसपास के कृषि क्षेत्र और आबादी क्षेत्र में जाकर की थी. गांववाले जिस बात पर विरोध जता रहे थे उनमें प्रमुख था प्रदूषण. विभाग के अनुसार ऐसे रेलवे साइडिंग राष्ट्रीय राजमार्गों से और सघन आबादी क्षेत्र से दूर होने चाहिए, लेकिन यहां इन मामलों का खुला उल्लंघन हो रहा था. निरीक्षण करने आई टीम के रिपोर्ट के बाद NGT कोर्ट ने जब यह आदेश दिया कि कन्वेयर बेल्ट से 3 महीने के अंदर ढुलाई सुनिश्चित हो, तो यह आदेश एक नजीर बन गया.
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आदेश के बाद खुश हैं आस पास के लोग
इस आदेश के बाद आसपास के लोग खुश हैं. क्योंकि इन क्षेत्रों से पहले रोज 5 से 10 हज़ार कोयले की गाड़ियां गुजर रही थीं. जिससे यह पूरा इलाका भयानक प्रदूषण की चपेट में था. इस आदेश के बाद कन्वेयर बेल्ट से ढुलाई होने के कारण ट्रकों से होनेवाली ढुलाई बंद हो जाएगी. जिससे प्रदूषण बहुत कम होगा. एनटीपीसी फिलहाल स्टॉक किए हुए कोयले की ढुलाई कर रहा है.
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क्या है कन्वेयर बेल्ट की स्थति ?
सूत्रों के हवाले से लगातार.इन को जानकारी लगी है, उसके अनुसार फिलहाल 3 महीने में एनटीपीसी के 2 स्ट्रीम कन्वेयर बेल्ट में से केवल एक कन्वेयर बेल्ट चालू हो सकता है. जिससे 30 से 40 फीसदी कोयले की ही ढुलाई हो सकती है. ऐसी स्थति में बाकी के उत्पादित 60 फीसदी कोयले की ढुलाई कैसे होगी. इस पर कम्पनी के अधिकारी माथापच्ची में लगे हुए हैं.