Patna : बिहार चुनाव के मतदान के बाद एग्जिट पोल को देखकर तो लगता है कि महागठबंधन की स्थिति मजबूत काफी मजबूत है. ज्यातर सर्वे तेजस्वी के नेतृत्व वाली तरकार की ओर इशारा करते हैं. जैसे जैसे मतदान की तारीख नजदीक आयी , 36 लाख से अधिक बेरोजगारों की संख्या वाले बिहार में ‘पढ़ाई, कमाई और दवाई’ के नारे ने चुनाव को पलट कर रख दिया. जेएपी के अध्यक्ष पप्पू यादव का कहना है कि जो सीएम किसी की कृपा पर काम करता हो, वह कमजोर कहलाता है.ऐसा सीएम निर्णय लेने में सक्षम नहीं होता.
पढ़ाई, कमाई और दवाई के नारे ने किया कमाल
तेजस्वी यादव, जो कि प्रचार के शुरु में अन्य मुद्दों पर फोकस कर रहे थे, वे सही समय पर युवा हल्लाबोल द्वारा दिए गए स्लोगन पर आ गये . जैसे ही यादव ने जनता के बीच ‘पढ़ाई, कमाई और दवाई’ के नारे को रखा तो लोगों ने उसे हाथों हाथ अपना लिया. पप्पू यादव हे कहा कि नीतीश कुमार, भाजपा के चलते कभी भी मजबूत निर्णय नहीं ले सके. उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर दूसरे का गठबंधन तोड़ने में दिलचस्पी दिखाई.चुनाव में थका हुआ सीएम, तेजस्वी का यह नारा काम कर गया.
नीतीश कुमार को भाजपा ने ही बनाया कमजोर
नीतीश कुमार के पीछे रहने का एक कारण, उनकी भाजपा के साथ कहासुनी होना भी रहा है.बिहार की जनता इतना तो समझ चुकी थी कि उनका भाजपा के साथ जो गठबंधन है, वह बहुत ज्यादा मजबूरी की स्थिति में पहुंच गया है.दरअसल, विपक्ष ने ही नहीं, बल्कि नीतीश को खुद भाजपा ने भी कमजोर बनाया है.