New Delhi : अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील मामले को लेकर कांग्रेस एक बार फिर घिरती नजर आ रही है. इसे लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर बड़ा हमला किया है. बीजेपी का कहना है कि सोनिया गांधी और अहमद पटेल को 700 करोड़ रुपये मिलने वाले थे. बता दें कि घोटाले से जुड़े राजीव सक्सेना ने ईडी के सामने दिए बयान में कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद का नाम लिया है. घोटाले में संलिप्तता के आरोप में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का भांजा रतुल पुरी पहले ही गिरफ्तार हो चुका है और फिलहाल जमानत पर है. भाजपा नेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 8 फरवरी, 2010 को अगस्ता वेस्टलैंड के साथ उस समय की UPA सरकार द्वारा एक समझौता किया गया कि 12 हेलीकॉप्टर खरीदे जाएंगे. जिनकी लागत होगी तकरीबन 600 मिलियन यूरो. इनकी डिलीवरी जुलाई 2013 में होनी थी. उन्होंने आगे कहा कि लेकिन फरवरी 2012 में इटली में इस पर एक तहकीकात शुरू हुई कि इसकी जो पैरेंट कंपनी है, वो अनौतिक तरीके से काम कर रही है. 2014 में क्रिश्चियन मिशेल के नोट्स से बहुत सारी जानकारी मिलती है. उन्होंने अपने नोट्स में लिखा कि सोनिया गांधी और उनके करीबियों को टारगेट करने से हमारी ये डील स्वीकृत होगी. उन करीबियों की लिस्ट में अहमद पटेल सहित कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के नाम लिखे हैं.
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घोटाले की बात आती है, तो कांग्रेस का ही आता है नाम
राठौड़ ने कहा, ‘जब भी रक्षा सौदों में घोटाले की बात आती है, तो कांग्रेस का नाम आता है. जीप घोटाला, टाट्रा ट्रक घोटाला, बोफोर्स घोटाला और अब अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला, ये सब कांग्रेस के शासन में हुए हैं. पार्टी के वरिष्ठ लोगों यानी सोनिया गांधी, राहुल गांधी को इस घोटाले में अपनी पार्टी के बड़े नेताओं का नाम आने पर स्पष्टीकरण और जवाब देना चाहिए. लेकिन अभी तक उधर से चुप्पी और खामोशी ही मिली है.’ इससे पहले मंगलवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सैन्य खरीद घोटालों में कांग्रेस की पुरानी संलिप्तता का हवाला देते हुए कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जनता के सामने इसका जवाब देना होगा.
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राजीव सक्सेना ने बयान में क्या कहा
ईडी के सामने दिए करीब एक हजार पन्नों के बयान में सक्सेना ने सौदे में ली गई दलाली की रकम भारत पहुंचाने में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है. सक्सेना को जनवरी 2019 में दुबई से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था. जांच में सहयोग को देखते हुए ईडी ने पहले उसे सरकारी गवाह बनाया था, लेकिन, बाद में पता चला कि वह घोटाले से जुड़े अहम तथ्य छिपा रहा है. इसके बाद ईडी ने उसे सरकारी गवाह से हटाकर आरोपित बनाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है.
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