Ranchi : पूर्व मंत्री और प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि झारखंड विशेष कर राजधानी रांची सहित शहरी क्षेत्रों में आदिवासियों एवं मूलवासियों से उनकी जमीन लूटी जा रही है. इस मामले में दुनिया की सबसे बड़ी और झारखंड के प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और इसके नेताओं का खामोश रहना दुर्भाग्य की बात है. रांची में भाजपा की विस्तृत कार्यसमिति की बैठक में भाजपा नेताओं ने अपनी नीति-रणनीति के अनुसार सभी मुद्दों पर तो बातचीत की लेकिन वह राजधानी रांची सहित धनबाद, जमशेदपुर एवं अन्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासियों से अबतक व्यापक पैमाने पर लूटी गई जमीन के मुद्दे पर एक भी शब्द नहीं बोला जो झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों के लिये खतरनाक संकेत है.
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बिहार और यूपी के लोग आदिवासियों की जमीन लूटी
तिर्की ने कहा कि आदिवासियों की जमीन की रक्षा के लिए सीएनटी एसपीटी एक्ट के प्रावधानों की धज्जियां उड़ाते हुए गैर आदिवासियों विशेष रूप से, बिहार एवं उत्तर प्रदेश से आये लोगों ने आदिवासियों से उनकी जमीन को लूटा जिससे लाखों आदिवासी परिवार विस्थापन एवं पलायन का शिकार हुए. भाजपा नेताओं को यह बताना चाहिए कि आदिवासियों की लूटी गई जमीन के मामले में वे क्या सोचते हैं और उन्हें उनकी जमीन कब और कैसे वापस मिलेगी. भाजपा नेताओं को अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए आदिवासियों की लूटी जा चुकी ज़मीन को वापस लौटाने के मामले में साफ-साफ बोलना चाहिए.
असम के आदिवासियों को कब मिलेगा एसटी का दर्जा
तिर्की ने कहा कि 2008 में असम में आदिवासियों के साथ हुई गंभीर हिंसा में अनेक आदिवासी मारे गये तथा हिंसा के शिकार हुए थे. उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्व सरमा ने अबतक असम में रह रहे जनजातीय समुदाय को आदिवासी अर्थात अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं दिया है. अब भी वहां के आदिवासी एमओबीसी श्रेणी में ही माने जाते हैं जबकि यदि शर्मा और शाह आदिवासियों के हितैषी है तो उन्हें तत्काल इस दिशा में कदम उठाना चाहिए. तिर्की ने कहा कि सरना धर्म कोड सम्बंधित आदिवासियों की मांग बहुत पुरानी और न्यायोचित है.र 2019 में ही अमित शाह ने इसके संदर्भ में कदम उठाने की बात कही थी लेकिन अब भाजपा नेताओं की इस मुद्दे पर ख़ामोशी भी आदिवासियों के प्रति उनकी मंशा को उजागर करती है.
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