Dinesh Kumar Pandey
Bokaro: रेलवे के सहायक मंडल अभियंता द्वारा किए गए पत्राचार के आलोक में अनुमंडल पदाधिकारी, चास ने अतिक्रमण हटाने का निर्देश जारी किया है. धनगढ़ी मौजा में रेलवे की अतिक्रमित भूमि को खाली कराने का एक बार फिर निर्देश जारी किया गया है. इस आदेश के बाद 23 सितंबर को जिला प्रशासन की मौजूदगी में रेलवे अधिकारी धनगढ़ी मौजा में अतिक्रमित जमीन को खाली करेंगे. हालांकि ग्रामीणों की ओर से इसका पुरजोर विरोध करने की आशंका है.
तैयारी के साथ अतिक्रमण हटाओ अभियान
ग्रामीणों के विरोध की आशंका को देखते हुए इस बार अतिक्रमण हटाने की व्यापक तैयारी की गई है. बता दें कि रेलवे अधिकारियों के मुताबिक धनगढ़ी बस्ती के बीचोबीच रेलवे क्रॉसिंग अवस्थित है. उसके आसपास रेलवे की जमीन पर अलीशान बिल्डिंग भी कई लोगों द्वारा खड़ा कर लिया गया है. इसे हटाने के लिए रेलवे कई बार प्रयास कर चुका है. लेकिन ग्रामीणों के विरोध के बाद यह संभव नहीं हो पाया. हालांकि इस बार रेलवे कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहता है. उस भूमि को खाली कराने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल लगाए जाएंगे.
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कई विभागों के अधिकारी होंगे शामिल
अतिक्रमण हटाओ अभियान में जिला प्रशासन के साथ-साथ इस बार भारतीय रेल, सेल व विद्युत विभाग के अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा. संबंधित विभागों को इसकी सूचना भी दिए जाने की खबर मिली है. इस बार माना जा रहा है की बड़ी कार्रवाई होगी. ग्रामीणों से निपटने की पूरी तैयारी कर ली गई है.
ग्रामीणों की ओर से विरोध की आशंका
वहीं ग्रामीण कमाल खान ने बताया कि एसडीओ यदि निर्देश दिए हैं तो संबंधित विभाग अतिक्रमण हटा दे. लेकिन ग्रामीण भी इसका पुरजोर विरोध करेंगे. उन्होंने कहा कि 19 गांव के विस्थापित बाल-बच्चे और परिवार समेत उस स्थल पर खड़े रहेंगे. विभाग को लोगों के ऊपर जेसीबी चलाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि भ्रष्ट प्रबंधन के हाथों प्रशासन भी बिक चुका है. उन्होंने कहा कि यदि हम विस्थापित हैं तो विस्थापितों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था आज तक नहीं की गई और ना ही हम लोगों को विभाग से पर्चा दिया गया. ना ही हाउस ब्लॉक का कब्जा विभाग ने दिलाया. उन्होंने कहा कि हमें मुआवजा तक नहीं दिया और इसके बाद भी अभी अतिक्रमण माना जा रहा है. ऐसी स्थिति में किसी भी कीमत पर ग्रामीण अभियान का विरोध करेंगे. इसके लिए विभाग को पहले हमारी समस्याओं का निराकरण करना होगा. इसके बाद ही यह संभव है. उन्होंने कहा कि अगर हमारे जमीन व घर पर बुलडोजर चलता है तो घर तोड़े जाने के बाद हम क्रिमिनल केस करेंगे और उनके साथ केस लड़ेंगे. ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन को एक बार हमारी समस्याओं से भी रूबरू हो लेना चाहिए. अचानक अतिक्रमण मानकर और भूमि पर बुलडोजर चलाना न्यायोचित नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले को लेकर गंभीर नहीं है. हमने राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर कई मंत्रियों तक के दरवाजे खटखटाए हैं. लेकिन हमें अब तक न्याय नहीं मिला है. लेकिन मुझे न्यायालय पर भरोसा है. न्यायालय हम ग्रामीणों के साथ अन्याय नहीं करेगा.
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मंत्री भी कर चुके हैं मामले को लेकर बैठक
राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो भी विस्थापित रैयतों की समस्या को लेकर उच्च स्तरीय बैठक कर चुके हैं. उन्होंने बैठक में कई निर्णय लेने के बाद कहा था कि विस्थापितों को सबसे पहले पुनर्वास कराई जाए. तउस स्थल पर बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराए. इसके बाद ही जमीन खाली कराया जाए. लेकिन मंत्री के आदेश के बाद भी मामला यथावत पड़ा रहा.
जानकारी देने से कतरा रहे अधिकारी
अतिक्रमण हटाने का तिथि भी 23 सितंबर निर्धारित है. लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारी इस मामले में किसी तरह की जानकारी नहीं देना चाह रहे हैं. इस बार लगता है कि अधिकारी गुप्त तरीके से यह करवाई करना चाह रहे हैं .ताकि ग्रामीणों के विरोध का सामना नहीं करना पड़े.