-केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की आपत्ति और सुझाव के बाद आम सहमति बनाने के लिए जिला कल्याण विभाग ने करायी बैठक, अधिकांश लोगों ने निर्माण पर सहमति जतायी
-सात अप्रैल को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पांच मंजिला भवन निर्माण एवं सौंदर्यीकरण योजना का किया था शिलान्यास
Kaushal Anand
Ranchi: सिरम टोली केंद्रीय सरना स्थल में पांच मंजिला भवन निर्माण और सौंदर्यीकरण को लेकर उठे विवाद पर बैठक हुई. उपायुक्त के निर्देश पर जिला कल्याण विभाग ने सरना स्थल पर सभी पक्षों की बैठक बुलायी. इस बैठक में रांची के करीब सभी सरना समिति, केंद्रीय सरना समिति और सरना धर्म अगुवा शामिल हुए. बैठक में अधिकांश लोगों ने अपनी राय दी कि समय के अनुसार चलते हुए सरना स्थलों का सौदर्यीकरण होना चाहिए. भवन भी बनना चाहिए. जबकि बैठक में केवल कुछ लोगों ने परंपरा के अनुसार चलने की वकालत की. इसके बाद मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के निर्माण और सौंदर्यीकरण का रास्ता साफ हो गया है. बैठक में जमीन विवाद का भी समाधान हो गया. जिसमें सामने आया कि यह जमीन किसी निजी व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे सरना समाज की है. यह खतियान में भी दर्ज है. अब जिला कल्याण विभाग अपनी रिपोर्ट आदिवासी कल्याण विभाग, झारखंड को प्रेषित कर देगा. जो केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा को भेजी जाएगी. बैठक की अध्यक्षता जिला कल्याण पदाधिकारी श्वेता शरण, रांची शहर के सीओ अमित भगत ने की.
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इन्होंने किया समर्थन
जिला प्रशासन की आम सहमति बैठक में केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की, सरना धर्म अगुवा प्रो. प्रवीण उरांव, जलेश्वर उरांव, पूर्व मंत्री एवं अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की प्रदेश अध्यक्ष गीताश्री उरांव, लक्ष्मी नारायण मुंडा, आदिवासी सेना के अजय कच्छप, राहुल उरांव, कुंदरसी मुंडा सहित 22 पाड़हा और रांची के विभिन्न सरना समितियों के अगुवाओं ने इस निर्माण पर अपना समर्थन दिया.
इन्होंने किया विरोध
बैठक में मुंडा समाज से टीआरआई के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर सोमा मुंडा, एतवा मुंडा ने उक्त जमीन को अपना बताया और निर्माण का विरोध किया. साथ ही पारंपरिक तरीके से चलने पर सहमति प्रकट की.
7 अप्रैल को सीएम ने किया था शिलान्यास
मालूम हो कि 7 अप्रैल को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस योजना का शिलान्यास किया था. इसके बाद कुछ लोगों की आपत्ति के बाद केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कल्याण विभाग को पत्र लिखा था. जिसमें कई तरह की आपत्तियां जतायी गई थी और सुझाव दिया गया था.
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अर्जुन मुंडा की आपत्तियां और सुझाव
-इस स्थान पर स्वीकृत पांच मंजिला सरना भवन का निर्माण नहीं हो, कहीं अन्य जगह बनाया जाये.
-भवन के स्थान पर उक्त स्थल पर अन्य मूल वृक्षों का रोपण हो, ईको-फ्रेंडली कुटरी एवं शेड का निर्माण किया जाये.
-भवन के अतिरिक्त एक जनजातीय म्यूजियम सह जनजातीय कला एवं संस्कृति केंद्र का निर्माण कराया जाये.
-उक्त स्थल पर एमएस खतियान में प्लॉट संख्या-1096 के रूप में दर्ज है. जिसका स्वामित्व स्व. मंगल पाहन के पास है. वास्तविक भू-स्वामियों से सरना स्थल के सौंदर्यीकरण हेतू अनुमति प्राप्त नहीं की गयी और न ही उन्हें अवगत कराया गया.
-यह स्थल आदिवासियों के लिए केवल धार्मिक रीति-रिवाज की तरह नहीं है. बल्कि प्रकृति पूजक आदिवासियों का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोवर भी है. ऐसे में सौंदर्यीकरण के नाम पर कोई भवन निर्माण आदिवासियों की धार्मिक अस्था को चोट पहुंचाने और मिटाने की एक बड़ी साजिश है.
-आदिवासी संस्कृति में सबसे बड़ी सुदंरता प्रकृति की सुंदरता है. जो किसी भी अन्य बनावटी सुदंरता से बहुत ही उत्कृष्ट है. इसलिए इसका निर्माण आदिवासी रीति-रिवाज के खिलाफ है.