Saurav Singh
Ranchi: झारखंड में नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए झारखंड पुलिस मुख्यालय ने एक नई रणनीति अपनाई है. राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता अब हर हफ्ते की मंगलवार को राज्य के सभी 16 जिलों के पुलिस अधीक्षकों (एसपी) के साथ बैठक करेंगे. इस बैठक में नक्सलवाद विरोधी अभियान की समीक्षा की जाएगी.
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कौन-कौन से जिलों के एसपी शामिल होंगे
इस बैठक में शामिल होने वाले जिलों के एसपी में रांची, धनबाद, चाईबासा, सरायकेला, खूंटी, गुमला, लातेहार, गढ़वा, पलामू, बोकारो, चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, गिरिडीह, सिमडेगा और लोहरदगा शामिल हैं.
बैठक में निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा होगी
– वर्तमान स्थिति: राज्य में नक्सलवाद की वर्तमान स्थिति का आकलन किया जाएगा.
– कार्रवाई और परिणाम: माओवादियों और अन्य नक्सली समूहों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई और उसके परिणामों की समीक्षा की जाएगी.
– नक्सलियों का प्रोफाइल: नक्सलियों और उनके समर्थकों के बारे में जानकारी एकत्रित की जाएगी.
– आत्मसमर्पण: आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को दी जाने वाली सुविधाओं की समीक्षा होगी.
– पुरस्कार: फरार नक्सलियों के सिर पर घोषित इनाम की स्थिति की जांच की जाएगी.
– संपत्ति जब्ती: फरार नक्सलियों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई की समीक्षा होगी.
– जानकारी: सभी पुलिसकर्मियों को नक्सलियों और उनके समर्थकों के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी.
– नजर रखना: आत्मसमर्पण करने वाले और जमानत पर छूटे हुए नक्सलियों पर नजर रखी जाएगी.
– अनुसंधान: नक्सलवाद से जुड़े मामलों की जांच की प्रगति की समीक्षा होगी.
– अदालत में मामले: नक्सलियों के खिलाफ अदालत में चल रहे मामलों की स्थिति की जांच होगी.
– सूचना: खुफिया विभाग से प्राप्त सूचनाओं पर की गई कार्रवाई की समीक्षा होगी.
– संपत्ति जब्ती: नक्सलियों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई की समीक्षा होगी.
– संचार व्यवस्था: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संचार व्यवस्था की स्थिति की जांच होगी.
झारखंड में नक्सलवाद की स्थिति
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम, गिरिडीह, गुमला, लातेहार और लोहरदगा जिले नक्सलवाद से प्रभावित हैं. इनमें से पश्चिमी सिंहभूम को सबसे अधिक प्रभावित जिला माना जाता है. झारखंड सरकार नक्सलवाद के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है और इस नई रणनीति के साथ उम्मीद है कि राज्य में नक्सलवाद को जल्द ही खत्म किया जा सकेगा.
109 बड़े माओवादी मारे गये और 41 जवान हुए शहीद
झारखंड में सुरक्षाबलों की बढ़ती ताकत से भाकपा माओवादी का जनाधार कम होता जा रहा है. पिछले सात साल के दौरान सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में झारखंड में माओवादियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. इस दौरान 109 बड़े माओवादी मारे गये. वहीं दूसरी तरफ सुरक्षाबलों को भी इस घटना में नुकसान का सामना करना पड़ा है. इस दौरान 41 जवान शहीद हुए हैं.
झारखंड में सुरक्षा बलों की तैनाती और खुफिया जानकारी जुटाने की वजह से माओवादी समस्या कुछ जिलों तक सीमित रह गयी है. जबकि एक दशक पहले माओवादियों का मुद्दा पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय था. माओवादियों को कोल्हान क्षेत्र से लगभग खदेड़ दिया गया है, जो कभी उनका गढ़ हुआ करता था.
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