Ranchi : कोरोना महामारी इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि आपके घरेलू पालतू जानवरों के लिए खतरा बनता जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर नामक बीमारी तेजी से फैल रहा है. पिछले डेढ़ माह में कैनाइन डिस्टेंपर से 130 कुत्तों के संक्रमित होने की जानकारी मिल चुकी है. दर्जनों कैनाइन डिस्टेंपर से संक्रमित होकर मर गए. 2020 में कैनाइन डिस्टेंपर बीमारी से रांची शहर में करीब 800 कुत्तों की मौत हुई थी. इसमें सबसे ज्यादा संख्या स्ट्रीट डॉग्स की थी. यह बीमारी स्ट्रीट डॉग्स के संपर्क में आने के बाद घरेलू पालतू में भी तेजी से बढ़ रहा है.
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डिस्टेंपर बीमारी से कमजोर कुत्ते संक्रमित होते हैं
कैनाइन डिस्टेंपर बीमारी से कमजोर कुत्ते संक्रमित होते हैं. वर्तमान समय में लॉकउाउन और कोरोना की वजह से होटल आदि बंद हैं. जिस वजह से स्ट्रीट डॉग्स को भरपेट खाना नहीं मिल पा रहा है. स्ट्रीट डॉग्स कमजोर हो रहे हैं. ऐसे में कैनाइन डिस्टेंपर बीमारी कमजोर कुत्तों को अपना शिकार बना रहा है. रांची अनगड़ा के निल केनाल के संचालक और डॉग ट्रेनर निल मजूमदार ने बताया कि कैनाइन डिस्टेंपर बीमारी से सबसे ज्यादा स्ट्रीट डॉग्स संक्रमित हो रहे हैं. अबतक 130 कॉल इस बीमारी से संबंधित आ चुके है. अब यह बीमारी घरेलू पेट्स को भी अपना शिकार तेजी से बना रहा है.
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कैनाइन डिस्टेंपर आमतौर पर कुत्तों में फैलना वाला वायरस
कैनाइन डिस्टेंपर (Canine distemper) या हार्डपैड रोग एक वायरल बीमारी है. कैनाइन डिस्टेंपर आमतौर पर कुत्तों में फैलने वाला वायरस है. यह लार, छींक आदि के जरिये होता है. किडनी पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है. कुत्तों के अलावा लोमड़ियों, पांडा, भेड़िये, और बड़े बिल्लियों आदि में यह रोग हो सकता है.
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क्या है बीमारी के लक्षण
कुत्तों में डिस्टेंपर के संकेत या लक्षण कई प्रकार के होते है. कुत्तों को सांस लेने में परेशानी, खांसी, उल्टी के साथ बुखार, खूनी दस्त और मुंह से झाग फेंकना. कुत्ता संक्रमित होने के बाद धीरे—धीरे कमजोर होता जाता है. सूस्त हो जाता है. खाना नहीं खाता है, यह सबसे गंभीर लक्षण हैं. यदि तंत्रिका संबंधी लक्षण विकसित होते हैं, तो लीवर अचानक फेल हो सकता है.
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पालने के बाद मानक के अनुरूप नहीं कराते टीकाकरण
अधिकतर लोग कुत्ते पालते हैं, लेकिन मानक के अनुरूप टीकाकरण नहीं कराते. इसी लापरवाही के चलते कैनाइन डिस्टेंपर वायरस घरेलू कुत्तों को भी संक्रमित कर रहा है. हाल के दिनों में करीब तीन गुना मामले सामने आए हैं. इस वायरस की चपेट में आने के बाद कुत्तों की कुछ ही दिनों में मौत तक हो जाती है. यही कारण है कि, पहले जहां महीने भर में 50 तक ही मामले आते थे, अप्रैल सितंबर से अब तक यह संख्या 150 के पार पहुंच गई.
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क्या कहते है एक्सपर्ट
पशु चिकित्सक डॉ. सौरभ सिंह ने कहा कि आवारा के अलावा पालतू कुत्तों में भी कैनाइन डिस्टेंपर तेजी से बढ़ना चिंता का विषय है. शेरों का भी शिकार कर चुके इस वायरस को सही वैक्सीनेशन के जरिए ही काबू किया जा सकता है. इस वायरस की वजह से कुत्ते को लकवा भी मार सकता है.