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मच्छर मारने में डीडीटी कारगर नहीं, एनोफेलीज कुलिसिफेसीज की आपूर्ति करे केंद्र

  • अपर मुख्य सचिव ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को लिखा पत्र
  • कहा- डीडीटी पर्यावरण के लिए भी खतरनाक, इस पर रोक लगाएं
Ranchi : डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया सहित अन्य सभी वेक्टर जनित रोग से बचाव के लिए अब डीडीटी छिड़काव रोकने की मांग की गयी है. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण को पत्र लिख कर डीडीटी के बदले एनोफेलीज कुलिसिफेसीज और एनोफेलीज फ्लुवियाटिलिस की आपूर्ति करने की मांग की है. बता दें कि वेक्टर जनित रोग से बचाव के लिए लंबे समय से केंद्र सरकार की गाइडलाइन पर डीडीटी का छिड़काव किया जाता था. लेकिन बदलते समय के साथ डीडीटी के छिड़काव के कारण वेक्टर प्रतिरोध विकसित हो गया, जिस कारण इसका प्रभाव मच्छरों पर कम होने लगा था.

डीडीटी पर्यावरण और मनुष्य के लिए खतरनाक

राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान के द्वारा राज्यभर में परीक्षण कराया गया. जिसमें पाया गया कि एनोफेलीज कुलिसिफेसीज 17 प्रतिशत और एनोफेलीज फ्लुवियाटिलिस 35 प्रतिशत मच्छरों को मारने में असरदार है. वहीं दुनियाभर में किए गए विभिन्न अध्ययनों के अनुसार डीडीटी का छिड़काव पर्यावरण में बरकरार रहता है. इससे मनुष्य और पर्यावरण को नुकसान होता है. साथ ही यह बच्चों के विकास में भी बाधक है. ऐसे में इसके खतरनाक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए बदलकर दो नए कीटनाशक की आपूर्ति करें. ताकि इसका उपयोग वेक्टर जनित रोग के नियंत्रण के लिए प्रभावी ढंग से किया जा सके और राज्य में मलेरिया का उन्मूलन हो पाए. इसे भी पढ़ें – रांचीः">https://lagatar.in/ranchi-rape-of-minor-three-accused-sentenced-to-twenty-years-each/">रांचीः

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