Pravin Kumar
Ranchi : एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना में भारत सरकार की शर्तों का उल्लंघन कर अवैध खनन किए जाने और सड़क मार्ग परिवहन किए जाने को लेकर की गई शिकायत पर केन्द्र ने झारखंड सरकार से कार्रवाई कर रिपोर्ट तलब किया था. पीसीसीएफ ने हज़ारीबाग़ फॉरेस्ट डिवीजन को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है. जिसे हज़ारीबाग़ फॉरेस्ट डिवीजन फाइलों को दबा कर बैठ गई है. इस बावत सवाल पूछने पर कोई भी अधिकारी कुछ बताने को तैयार नही हैं. सब एक-दूसरे को पत्राचार और फाइल देखकर कुछ बताने की बात बता सवालों से बचना चाह रहे हैं. दरअसल अवैध खनन पर वन विभाग और झारखंड सरकार केंद्र का निर्देश मिलने पर कार्रवाई को टाल रहे थे.
अवैध खनन पर आईपीसी, बायोडाइवर्सिटी और खनन कानूनों के तहत कार्रवाई का मिला था निर्देश
केंद्र सरकार ने झारखंड सरकार से अवैध खनन पर आईपीसी की धाराओं, बायोडाइवर्सिटी एक्ट 2002 और खान-खनन अधिनियमों के तहत कार्रवाई के लिए झारखंड सरकार को पत्र लिख था और कार्रवाई की जानकारी केंद्र को भेजने को कहा था. झारखंड सरकार के निर्देश पर पीसीसीएफ ने कार्रवाई के लिए हज़ारीबाग़ फॉरेस्ट डिवीजन को निर्देश दिया था दो महीने बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि किसके दबाव/प्रभाव में कार्रवाई नहीं की जा रही है. पूछने पर फाइल देखकर बताने की बात कह सवाल को टाल दिया जा रहा है.
सड़क मार्ग से अवैध ट्रांसपोर्टेशन पर लीगल नोटिस
एनटीपीसी द्वारा अवैध खनन के अलावे सड़क मार्ग से अवैध ट्रांसपोर्टेशन को लेकर एनटीपीसी, वन विभाग अपने ही दिए जवाब में फंस गई है. किसी के पास कोई ठोस जवाब नहीं है. सड़क मार्ग से कोयला परिवहन किए जाने का वन विभाग, एनटीपीसी और झारखंड सरकार के विरोधाभाषी जवाब और मंत्रालय के नियम-शर्तों का हवाला देकर मंटू सोनी ने झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता नवीन कुमार सिंह के माध्यम से केंद्र सरकार से लेकर झारखंड सरकार और एनटीपीसी सीवीओ को लीगल नोटिस 19 मार्च 2023 को भेजा है. अपने ही बयानों में फंसी वन विभाग, एनटीपीसी, झारखंड सरकार को जवाब नहीं सूझ रहा है. अधिवक्ता नवीन कुमार सिंह ने नोटिस का रिमाइंडर भेजकर एक महीने के अंदर जवाब देने, के साथ यह कहा है जवाब नहीं देने की स्थिति में आरोपों को सत्य मानते हुए सभी को पार्टी बनाते हुए न्यायालय में मुकदमा दर्ज किया जाएगा.
सरकार ने माना, लेकिन एनटीपीसी कर रहा अवैध खनन से इनकार ?
अवैध खनन को केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों स्वीकार कर रही है, लेकिन एनटीपीसी के सीनियर अधिकारी क्षेत्रीय निदेशक पार्थ मजूमदार मीडिया के सामने खुला इनकार कर रहे हैं. पार्थ मजूमदार का कहना है कि डब्लूआरडी से एप्रूवल लेकर खनन किया गया है, लेकिन यह नहीं बताते है कि अगर खनन के लिए डब्लूआरडी से एप्रूवल काफी था तो खुद इन्होंने अक्टूबर 2018 में भारत सरकार से शर्तों का संशोधन के लिए आवेदन क्यों दिया था ? आज तक भारत सरकार से शर्तों में संशोधन का एप्रूवल नहीं मिला है. जबकि सुप्रीम कोर्ट का पिछले साल का आदेश है कि एप्रूवल मिलने से पूर्व अगर खनन किया जाता है तो वह अवैध है.
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