Ranchi : झारखंड जनाधिकार महासभा ने एक प्रेस बयान जारी कर दावा किया है कि केंद्र सरकार ने इस बात को मान लिया है कि संथाल परगना में जो जमीन विवाद का मामला है, उसका बंग्लादेशी घुसपैठियों से कोई जुड़ाव नहीं है. जिस मामले में हलफनामा दाखिल कर केंद्र सरकार ने यह बात कही है, वह मामला भाजपा कार्यकर्ता द्वारा दाखिल पीआईएल है, जिसमें दावा किया गया था कि बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा आदिवासियों से शादी कर जमीन लूटी जा रही है और घुसपैठ हो रही है. जारी प्रेस बयान में कहा गया है कि हाल के दिनों में भाजपा लगातार प्रचार कर रही है कि संथाल परगना में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए आ रहे हैं, जो आदिवासियों की जमीन हथिया रहे हैं और आदिवासी महिलाओं से शादी कर रहे हैं. इसकी वजह से आदिवासियों की जनसंख्या कम हो रही है. भाजपा ने क्षेत्र में कई हिंसा व जमीन विवाद की घटनाओं को बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ जोड़ा है. महासभा की फैक्ट फाइडिंग टीम ने पिछले दिनों संथाल का दौरा करके वही बात कही थी, जो केंद्र के हलफनामे में है. केंद्र ने यह भी कहा है कि पश्चिम बंगाल से सटे पाकुड़ व साहिबगंज से घुसपैठ की आशंका है, लेकिन कोई प्रमाण नहीं दिया.
केंद्र ने आंकड़ों की गलत व्याख्या की
महासभा ने आगे कहा है कि केंद्र सरकार ने आंकड़ों की गलत व्याख्या की है. हलफनामे में कहा गया है कि संथाल परगना में हिंदुओं की संख्या में गिरावट हुई है. 1951 में क्षेत्र की कुल जनसंख्या 23.22 लाख थी, जिसमें हिंदुओं की आबादी 90.37 प्रतिशत थी, मुसलमानों की 9.43 प्रतिशत व ईसाईयों की 0.18%. आदिवासी 44.67 प्रतिशत थी. यह कहा गया है कि 2011 में हिंदुओं की जनसंख्या 67.95 प्रतिशत हो गयी. जबकि तथ्य यह है कि 1951 की जनगणना केवल छह धर्म कोड (हिंदू, इस्लाम, सिख, ईसाई, जैन व बुद्धिस्ट) में की गयी थी. आदिवासियों को हिंदू में ही डाल दिया गया था. जबकि 2011 में अनेक आदिवासियों ने अपने को ‘अन्य/सरना’ में लिखित रूप में दर्ज किया था.
1951-91 के बीच आदिवासियों की जनसंख्या हुई कम
आंकड़ों के अनुसार, 1951 से 2011 के बीच हिंदुओं की आबादी 24 लाख, मुसलमानों की 13.6 लाख और आदिवासियों की 8.7 लाख बढ़ी है. आदिवासियों का अनुपात 46.8 प्रतिशत से घटकर 28.11 प्रतिशत हुआ है. जबकि मुसलमानों का अनुपात 9.44 प्रतिशत से बढ़कर 22.73 प्रतिशत और हिंदू का 43.5 प्रतिशत से बढ़कर 49 प्रतिशत हुआ है. 1951-91 के बीच आदिवासियों की संख्या में गिरावट आयी है. महासभा ने राज्य सरकार से मांग की है कि किसी भी नेता या सामाजिक-राजनैतिक संगठन द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठिये, लैंड जिहाद, लव जिहाद जैसे शब्दों का प्रयोग कर सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश होती है, तो उनके खिलाफ न्यायसंगत कार्यवाई करें.