- नये जेल के भवन निर्माण में घटिया सामान का किया इस्तेमाल
- डेढ़ दशक से बन रहे जेल की हो रही रंगाई-पोताई
Chaibasa (Sukesh kumar) : पश्चिमी सिंहभूम जिले में कैदियों को रखने के लिए दूसरा जेल का निर्माण हो चुका है. इसकी रंगाई-पोताई का काम चल रहा है. चक्रधरपुर स्थित नेशनल हाईवे के पास यह जेल बना है. करोड़ों रुपये की लागत से इसका निर्माण हुआ है. जेल के उद्घाटन से पहले ही भवन में दरार पड़ने लगी है. बताया जाता है कि सरकार के करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी इसमें घटिया सामान का उपयोग किया गया है. इसकी वजह से दीवारों में अभी से दरार आ गई है. चाईबासा-रांची मुख्य मार्ग एनएच 75(ई) के किनारे चक्रधरपुर में करीब डेढ़ दशक पूर्व जेल का निर्माण कार्य शुरू किया गया था. लेकिन किसी न किसी वजह से इसका निर्माण कार्य हमेशा अधर में लटक रहा था. लेकिन इस बार जेल का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है और रंगाई पोताई का कार्य चल रहा है. अगस्त के अंत तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. बताया जाता है कि जेल के अंदर 300 कैदियों को रखने की क्षमता है. इसमें महिला कैदियों के लिए अलग से बैरक का निर्माण किया गया है. वहीं जेल में अस्पताल के आलावा महिला कैदी को काम सिखाने के लिए अलग से सेंटर बैरक का निर्माण किया गया है. वहीं पुरुष कैदियों के लिए फीडिंग प्लेटफॉर्म बनाया गया है, जहां पुरुष कैदी आकर भोजन करेंगे. वहीं महिला कैदियों के लिए डायनिंग हॉल और किचन बनाया गया है.
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जेल में बनाया गया है सेंट्रल किचन
इसके आलावा एक सेंट्रल किचन बनाया गया है. साथ ही प्रशासनिक भवन, वीडियो कॉन्फ्रेंस हाल, लाईब्रेरी भवन सहित अन्य सुविधाओं के लिए भवन का निर्माण किया गया है. इसके आलावा अलग से सेल बनाया गया है, जिसमें आठ कैदियों के रखने की व्यवस्था है. जेल की सुरक्षा के लिए जेल मैनुअल के मानक के अनुसार कार्य किये गये हैं और मुख्य चहारदीवारी व वॉच टावर का निर्माण किया गया है. महिला और पुरुष कैदियों से मिलने आने वालों के लिए अलग काउंटर और वेटिंग हॉल बनाया गया है. उनके मुताबिक जेल हर सुविधा से लैस होगी.
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जांच नहीं की तो कैदियों को हो सकता है नुकसान
उद्घाटन से पूर्व यदि प्रशासनिक रूप से जांच नहीं होती है तो कैदियों को नुकसान हो सकता है. समय से पहले ही दरारें आना यह संकेत देता है कि कभी भी जेल की दीवार ढह सकती है. भवन निर्माण कंपनी को इस पर गंभीरता से विचार कर जांच करने की जरूरत है. सूत्रों के अनुसार वर्षों से भवन का निर्माण चल रहा है. सही से मैटेरियल का उपयोग नहीं होने की वजह से इस तरह का नुकसान हो रहा है.
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