Chaibasa : देशभर में लगातार बढ़ रही महंगाई से जनता परेशान है. महंगाई का सबसे अधिक असर मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय परिवार पर पड़ रहा है. तेजी से बढ़ती महंगाई में लोगों के वेतन में वृद्धि नहीं हो रही है. सीमित आय में लोगों को घर चलाना मुश्किल हो रहा है. बच्चों की स्कूल फीस देने में लोग असमर्थ हो रहे हैं. लोग वेतन और खर्च के बीच तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं. पेट्रोल, रसोई गैस, सब्जियां, राशन, कपड़े और दवाइयां सभी की कीमत बहुत अधिक बढ़ गई है. इसके बोझ से लोग कराह रहे हैं.
बरसात में महंगी हो जाएंगी सब्जियां
पश्चिमी सिंहभूम जिले के मेघाहातुबुरु स्थित मीना बाजार के सब्जी विक्रेता पल्टन गुप्ता की दुकान में अपने-अपने घरों के लिये हरी सब्जियों को खरीदने पहुंचे अशोक कुमार मंडल, संजीव गुप्ता, ताज मोहम्मद ने बताया कि पिछले कुछ सप्ताह से सब्जियों की कीमत में कमी आई है. पहले तमाम सब्जियां महंगी थीं, जिससे घर का बजट गड़बड़ा रहा था. हालांकि, बरसात आने पर अब फिर से सब्जियों की कीमत में भारी वृद्धि होने की बात सब्जी विक्रेता कर रहे हैं. अगर ऐसा हो गया तो बड़ी समस्या उत्पन्न होगी. हरी सब्जियां तो थाली से गायब हो जाएंगी.
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राशन के सामान की बढ़ती कीमत से मध्यम वर्ग परेशान
चाईबासा में राशन खरीदने बाजार पहुंचे मो. सुजाउद्दीन का कहना है कि आटा, चावल, दाल की कीमत रोजाना बढ़ रही है. लेकिन सरकार इस पर किसी तरह की छूट नहीं दे रही है. सरकार को सरसों तेल जैसी जरूरी सामानों पर कम कीमत लगाने का विचार करना चाहिए, ताकि आम जनता का भला हो सके. राशन के सामान की बढ़ती कीमत से मध्यम वर्ग विशेष रूप से परेशान है. अगर इसी तरह महंगाई बढ़ती गई तो काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. पेट्रोल-डीजल की भी कीमत बढ़ने से ट्रांसपोर्ट चार्ज बढ़ गया है, जिसके कारण इतनी महंगाई हो गई है.
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एक साल में शुगर की दवा की कीमत दोगुनी
चाईबासा में दवा खरीदने निकले मंटू सोलंकी ने कहा कि वर्तमान समय में दवाई की भी कीमत बढ़ गई है. इसके कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. एक तो ऐसे ही महंगाई बढ़ी हुई है, ऊपर से दवाई की कीमत बढ़ने से ढंग से इलाज भी नहीं करा पा रहे हैं. खासकर जीवनरक्षक दवाओं की कीमत में काफी वृद्धि हुई है. पिछले दो साल से तुलना करें तो दवाई की कीमत लगभग दोगुनी हो चुकी है. सरकार से मांग है कि दवाई की कीमत कम की जाए. अनावश्यक टैक्स लेकर कीमत बढ़ा दी गई है. टैक्स कम किया जाए.
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पर्व त्योहार में ही नया कपड़ा पहनना नसीब होता है
चाईबासा में गिरवा विश्वकर्मा कहते हैं कि कपड़ा खरीदना अब मुश्किल हो गया है. नए कपड़ों की कीमत आसमान छू रहे हैं. पर्व त्योहार में ही नया कपड़ा पहनना नसीब होता है. ब्रांडेड को छोड़ दिया जाए तो सामान्य कपड़ों की भी कीमत अधिक हो गई है. सरकार को कुछ कपड़ों में टैक्स कम कर देना चाहिए, जिससे आम जनता को लाभ मिल सके. हालांकि, पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने से ट्रांसपोर्ट में खर्च का असर दिख रहा है. इसका असर सीधा कपड़ों पर भी पड़ रहा है. पेट्रोल-डीजल की कीमत कम हो तो बाकी सामान की कीमत में भी कमी हो सकती है.
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20 रुपये प्लेट चावल 40 का हो गया
होटल खाने के लिये पहुंचे दिहाड़ी मजदूर सारंगी दास ने कहा कि दो साल पहले होटल में 20 रुपये प्लेट चावल मिलता था, अब 40 रुपये हो गया है. चाईबासा में अब कहीं भी ऐसा होटल नहीं है, जहां पर कम कीमत में खाने को मिलता हो. हम लोग मजदूर आदमी हैं, रोजाना दिहाड़ी पर काम करते हैं. घर से एक समय खाकर आते हैं और दोपहर का खाना होटल में ही खाते हैं. अब इतनी कीमत हो गई है कि कमाई में कुछ भी नहीं बचता. सरकार से मांग है कि खाद्य सामानों की कीमत में घटाई जाए.
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