LagatarDesk : लोक आस्था का महापर्व चैती छठ उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ. व्रतियों ने सुबह 05 बजकर 37 मिनट पर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया और धन, धान्य और आरोग्य की कामना की. अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने पारण कर निर्जला उपवास संपन्न किया.
छठ पूजा का अंतिम दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य भगवान का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य और संतान के लिए रखा जाता है.
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भगवान भास्कर ने भी कुष्ट रोग से मुक्ति के लिए किया था छठ व्रत
स्कंद पुराण के अनुसार, राजा प्रियव्रत संतान प्राप्ति के लिए छठ व्रत किया था. वहीं पांडवों और उनकी पत्नी द्रौपदी ने अपना खोया हुआ राज्य वापस पाने के लिए छठ पूजा की थी. भगवान भास्कर ने भी कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए छठ व्रत किया था. स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा है. वर्षकृत्यम में भी छठ की महत्ता की चर्चा है.
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साल में दो बार मनाया जाता है छठ
बता दें कि आस्था का महापर्व साल में दो बार चैत्र और कार्तिक माह में मनाया जाता है. चार दिनों तक चलने वाला चैती छठ आज संपन्न हुआ. पहले दिन नहाय-खाय और दूसरे दिन व्रतियों ने दिन भर उपवास कर शाम में खरना किया. वहीं तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया. जबकि आज उदीयमान भास्कर को अर्घ्य दिया गया. इसके बाद व्रतियों ने पारण करके निर्जला उपवास को पूरा किया. अब व्रतियां कार्तिक माह में छठ करेंगी.