Chakulia (Dharish Chandra Singh) : मानसून ने दगा दे दिया है. पर्याप्त वर्षा के बिना सब सून है. मानसून के भरोसे धान की खेती करने वाले किसान मायूस होकर आसमान की ओर टकटकी लगाए हैं. खेतों में मवेशी चर रहे हैं. कई इलाकों में नदी और नालों के पानी को डीजल पंप के सहारे किसान खेत में पहुंचा कर धान की रोपनी कर रहे हैं. प्रखंड कृषि विभाग के मुताबिक प्रखंड क्षेत्र में अब तक सिर्फ 5% ही धान की रोपनी हो पाई है. जबकि मकई और अरहर के खेती नहीं के बराबर हुई है. इस वर्ष सर्वाधिक बारिश 22 जुलाई को 97 एमएम हुई है. यह धान के रोपनी के लिए पर्याप्त नहीं है. पिछले 2 दिनों से बारिश नहीं हो रही है.
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चाकुलिया प्रखंड की जुगीतुपा पंचायत अंतर्गत कूपन नदी के किनारे कई किसानों द्वारा नदी के पानी को डीजल पंप के सहारे नदी के किनारे के खेतों में पहुंचा कर धान की रोपनी की जा रही है. किसान मदन मोहन मांडी और रविंद्र मांडी ने कहा कि वर्षा नहीं होने से स्थिति भयावह हो गई है. सावन के महीना में भी खेत सूखे हैं. डीजल पंप चला कर नदी के पानी से धान रोपनी करनी पड़ रही है. एक बीघा खेत में धान रोपनी करने के लिए डीजल पंप चलाने में 500 रूपये का अतिरिक्त खर्च पड़ रहा है. सरकार द्वारा सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. ऐसे में हमें धान की खेती के लिए मानसून के भरोसे ही रहना पड़ता है.