- बनारस से आए तीन पंडितों ने संपन्न कराया 161 साल पुराने मंदिर में अनुष्ठान
Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल प्रखंड के गौरडीह स्थित पुनर्निमित शिव मंदिर का प्रतिष्ठा अनुष्ठान रविवार को धूमधाम के साथ संपन्न हुआ. बनारस से आए तीन विद्धान पंडितों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मंदिर प्रतिष्ठा अनुष्ठान संपन्न कराया. गौरडीह में 161 साल पुराने मंदिर को नए रूप में पुनर्निमित कर विशाल व भव्य रूप दिया गया है. गौरडीह का शिव मंदिर इस क्षेत्र के प्रमुख शिवालयों में से एक है. गौरडीह समेत आसपास के लोगों के लिए यह मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है. मंदिर प्रतिष्ठा अनुष्ठान में रविवार को बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. बनारस से पहुंचे पंडितों ने सुबह 8:30 बजे से मंदिर प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान प्रारंभ किया. अनुष्ठान में गौरडीह के गांगुली परिवार के सदस्य यजमान के रूप में शामिल हुए. गांगुली परिवार की चौथी पीढ़ी ने मंदिर का पुनर्निमाण कार्य कराया है. श्रीश्री कालाक्ष रुद्रभैरव के नए भव्य मंदिर बनकर पूरा होने से क्षेत्र में श्रद्धालुओं में हर्ष व्याप्त है. प्रतिष्ठा अनुष्ठान के बाद भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया.
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सपने में आए थे भोलेनाथ
गौरडीह स्थित गांगुली परिवार के शेखर गांगुली ने बताया कि श्रीश्री कालाक्ष रुद्रभैरव 161 साल पुराने हैं. उनके दादाजी के पिताजी दिवंगत प्रभास गांगुली को सपने में भोलेनाथ आए थे. सपने में भोलेनाथ ने कहा था कि वे उस स्थान पर विराजमान हैं. उस समय पूरा क्षेत्र झाड़ियों से भरा था. तब प्रभास गांगुली ने झाड़ियों की सफाई कराई थी. सफाई के दौरान उन्हें शिवलिंग मिला था. उस समय उन्होंने खपरैल का मंदिर बनवाया था. जहां लोग श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करते थे. समय के साथ मंदिर का स्वरूप बदलता गया. खपरैल के मकान से ढलाई वाला मंदिर बना. मंदिर का परिसर बढ़ता गया. अब प्रभास गांगुली की चौथी पीढ़ी ने मंदिर का पुनर्निर्माण कर उसे भव्य रूप प्रदान किया है. गौरडीह शिव मंदिर में वर्षों से चैत्र संक्रांति के अवसर पर शिव पूजा का भव्य आयोजन किया जाता रहा है. शिव पूजा के अवसर पर पहले गौरडीह में ही छऊ नृत्य का भी आयोजन किया जाता है. पूजा-अर्चना के बाद मंदिर परिसर में भंडारा का आयोजन किया गया.
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