Dilip Kumar
Chandil : सरायकेला-खरसावां जिले के नीमडीह प्रखंड के तिल्ला पंचायत भवन परिसर में शुक्रवार को आदिवासी सामाजिक संगठन के बैनर तले बैठक हुई. सुरेंद्र नाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में आदिवासी समाज के अगुआ शामिल हुए. इस दौरान पेसा एक्ट 1996 पर विशेष चर्चा की गई. झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों में सरकार की प्रस्तावित नियमवाली पर जुबानी जंग छिड़ गई. अधिकतर आदिवासी संगठन के बुद्धजीवियों की मांग है कि पेसा एक्ट 1996 के 23 प्रावधानों के अनुरूप झारखंड में पेसा नियमावली बनाई जाए. हालांकि सरकार ने अभी तक आधिकारिक रूप से ड्राफ्टिंग की गई नियमावली को सार्वजनिक नहीं किया है. अगुवाओं ने कहा कि सरकार की नियमवाली में भूमि वापसी, जमीन अधिग्रहण, खनिज खनन मामले में पारंपरिक ग्राम सभा की शक्ति को कम किया गया है. जो पेसा एक्ट 1996 के नियम संगत नहीं है.
नियमावली की ड्राफ्टिंग को पहले सार्वजनिक करें
आदिवासी सामाजिक संगठन के अगुआओं ने एक स्वर में कहा कि पारंपरिक ग्राम सभा की शक्ति को कमजोर करने वाली नियमावली स्वीकार नहीं की जा सकती है. सरकार ड्राफ्टिंग की गई पेसा नियमावली को पहले अधिकारिक तौर पर सार्वजिक करे और पारंपरिक ग्रामसभा व आदिवासी बुद्धिजीवियों से सुझाव ले. इसके बाद ही नियमावली पर मुहर लगाई जाए. बैठक में जयराम सिंह सरदार, श्यामल मार्डी, निरंजन सिंह सरदार, दिवाकर सोरेन, बाबलू मूर्मू, रवींद्र सरदार, जगदीश सरदार, अरुण सिंह सरदार, लाल मोहन सिंह, बुद्धेश्वर किस्कू, जनमेंजय सिंह सरदार, दीनबंधु सिंह, बृहस्पति सिंह सरदार, प्रसेनजीत सिंह, रुप सिंह सरदार, भुवन सिंह सरदार, रमेश हांसदा, पारंपरिक प्रधान, मांझी, मानकी, मुंडा आदि उपस्थित थे.
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