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नहीं करते गर्म चीज का सेवन
बसंत पंचमी के दूसरे दिन शीतला माता के नाम से षष्ठी पूजा की जाती है. शीतला षष्ठी के दिन लोग चूल्हा नहीं जलाते हैं, बल्कि चूल्हे और सील लोढ़ा (सिलौटी) की पूजा करते हैं. इस दिन लोग रात में बना बासी खाना पूरे दिन खाते हैं. पानी भी बासी ही पीते हैं. सीजानो के मौके पर भगवान को भी रात में बना बासी खाना प्रसाद रूप में अर्पण किया जाता है. यह व्रत परिवार की सुख समृद्धि, पुत्र प्रदान करने वाला एवं सौभाग्य देने वाला है. पुत्री की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए यह व्रत उत्तम कहा गया है. शीतला षष्टी का उल्लेख पुराणों में भी है. इस तिथि को व्रत करने से जहां तन मन शीतल रहता है, वहीं चेचक से भी मुक्त रहते हैं. शीतला षष्ठी के दिन देश के कई भागों में मिट्टी पानी का खेल खेला जाता है. शीतला माता के व्रत के दिन लोग ठंडे पानी से स्नान करने के साथ ठंडा भोजन करते हैं. इस दिन कोई भी गर्म चीज सेवन नहीं करना चाहिए. इसे भी पढ़ें : कोडरमा">https://lagatar.in/koderma-lieutenant-general-shashank-shekhar-mishra-a-student-of-sainik-school-tilaiya-will-get-the-param-vishisht-seva-medal/">कोडरमा: सैनिक स्कूल तिलैया के छात्र रहे लेफ्टिनेंट जनरल शशांक शेखर मिश्रा को मिलेगा ‘परम विशिष्ट सेवा मेडल’
विशेष व्यंजन है सीजानो
शीतला षष्ठी पर प्रसाद स्वरूप बनने वाला सीजानो विशेष प्रकार का व्यंजन है. बसंत पंचमी की रात सीजानो बनाने के साथ ही घर का चूल्हा बंद कर दिया जाता है. इसके बाद सप्तमी के दिन घर का चूल्हा जलाया जाता है. परिवार का पवित्र व्रती सीजानो बनाता है. इसमें नौ प्रकार के गोटा दाल व सब्जी मिलाये जाते हैं. सीजानो बनाने के लिए राजमा, कुल्थी, बिरी, चना, बेर, सेम, मुनगा फूल और कच्चु मिलाया जाता है. सील लोढ़ा (सिलौटी) रखकर किए जाने वाले षष्टी पूजा में भी विशेष प्रकार का प्रसाद चढ़ाया जाता है. आठ कलाई (आठ प्रकार के भुंजा), मिठा और पीठा देकर पूजा किया जाता है. क्षेत्र विशेष पर सीजानों मनाने की तरीके अलग-अलग है. कुछ लोग सीजानों में मछली बनाते हैं जबकि कुछ लोग इस पूजा में शाकाहारी खाना बनाते हैं. इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर">https://lagatar.in/jamshedpur-let-us-all-resolve-to-sacrifice-everything-for-the-development-of-the-country-ramchandra-sahis/">जमशेदपुर: देश के विकास में सर्वस्व न्यौछावर करने का सभी लें संकल्प- रामचंद्र सहिस

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