Chandil (Dilip Kumar) : शक्ति की देवी मां दुर्गा की एक रूप मां विपदतारिणी की पूजा मंगलवार को विधि-विधान अनुसार की गई. पूजा को लेकर चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में महिलाओं में व्यापक उल्लास देखा गया. इस अवसर पर विभिन्न देवी मंदिरों में मां विपदतारिणी की पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु महिलाओं की भीड़ उमड़ी. पूजा को लेकर काली व दुर्गा मंदिरों में सुबह से ही महिलाओं की भीड़ रही. सभी व्रती महिलाएं कतारबद्ध होकर श्रद्धा पूर्वक पूजा-अर्चना किए. पूजा-अर्चना कर श्रद्धालुओं ने अपने परिवार की सुख, शांति व सुरक्षा की कामना की. इस दौरान श्रद्धालुओं ने मां विपदतारिणी के जयकारे भी लगाए.
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पूजा के बाद लाल रंग के कच्चे धागे को बांह में बांधा जाता है
मां दुर्गा के एक रूप मां विपदतारिणी की पूजा के लिए 13 प्रकार के फल व फूल लगता है. इसके साथ ही मिष्ठान्न भी प्रसाद स्वरूप चढ़ाया जाता है. वहीं, रक्षा सूत्र के रुप में लाल रंग के कच्चे धागे को मंदिर में पूजा कराने के बाद बांह में बांधा जाता है. इस धागे पर भी 13 गांठ लगाए जाते हैं. महिलाएं अपने सुहाग की दीर्घायु व बच्चों को विपदाओं से दूर रखने के लिए मां दुर्गा के 108 रूपों में से एक मां विपत्तारिणी की पूजा-अर्चना करती हैं. बंगाली समाज की महिलाएं विशेष तौर पर श्रद्धा पूर्वक मां विपदतारिणी करती है.
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रथ यात्रा के बाद शनिवार या मंगलवार को होती है पूजा
मां विपदतारिणी की पूजा रथ यात्रा के बाद मंगलवार व शनिवार को ही की जाती है. श्रद्धालु अपनी सुविधा के अनुसार मंगलवार या शनिवार को पूजा करते हैं. इस पूजा के पीछे ऐसी मान्यता है कि परिवार में आने वाले हर संकट को मां विपदतारिणी टाल देती हैं. इसलिए मां विपदतारिणी को संतुष्ट करने के लिए महिलाएं उपवास रखती हैं. परिवार के सदस्यों ने भी प्रसाद ग्रहण करने से पहले 13 गांठ लगाकर सुरक्षा धागा बांह में बांधा.
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