विडंबना : शिक्षा विभाग के उदासीन रवैये के कारण स्कूली बच्चों को नहीं मिल रहा प्रोटीन युक्त भोजन
Abhijeet Shukla
Chatra : वनाच्छादित व सुदूरवर्ती क्षेत्रों के अधिकांश स्कूलों में बच्चों को एमडीएम में दाल-भात और कभी-कभी सब्जी तो मिल रहा है. लेकिन एमडीएम में सप्ताह में दो दिन मिलने वाला फल तथा अंडा थाली से गायब है. सदर प्रखंड सहित लगभग सभी प्रखंडों के सुदूरवर्ती क्षेत्र के सैकड़ों स्कूलों में फल और उबला अंडा देने के नाम पर शिक्षा विभाग के पदाधिकारी से लेकर विद्यालय के सचिव तथा विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष अपने मूल कर्तव्यों से हटकर सरकारी राशि डकारने में लगे हैं. जैसे-तैसे स्कूलों में मध्याह्न भोजन बच्चों को परोसा जा रहा है. सिर्फ दाल-भात और कभी कभी सब्जी देकर अपने दायित्वों की खानापूर्ति कर ली जाती है. छात्रों को इस भोजन से पेट तो भर रहा है, लेकिन उन्हें प्रोटीन नहीं मिल पा रहा है.
बच्चों की तंदुरुस्ती के लिए सरकार ने फल व उबला हुआ अंडा देना किया था शुरू
बच्चों की तंदुरुस्ती और उनके फिटनेस के लिए फिक्रमंद सरकार ने उनको सेहतमंद बनाने के लिए फल और उबला हुआ अंडा देने की शुरुआत की थी. लेकिन मध्याह्न भोजन की थाली की सेहत शिक्षा विभाग के उदासीन रवैये और विद्यालय के अध्यक्ष व सचिव के मनमाना रवैया के कारण नहीं सुधर सकी है. सरकारी स्कूलों में शिक्षा के साथ-साथ मध्याह्न भोजन की दिशा में सरकार के लाख सुधार के प्रयास के बावजूद जिले में संबंधित अधिकारी, शिक्षक और विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष बच्चों को निवाला दीमक की तरह चाटने में लगे हुए हैं.
जिले के सुदूरवर्ती विद्यालयों में दम तोड़ रही मिडे-डे-मील योजना
बता दें कि राज्य के सभी सरकारी प्राथमिक तथा मध्य विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को प्रोटीन युक्त मध्याह्न भोजन दिए जाने की योजना है. इसको चलाए जाने के पीछे सरकार का मूल उद्देश्य है कि सभी सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में अध्यनरत कक्षा एक से लेकर आठ तक के बच्चों को प्रतिदिन गुणवत्तापूर्ण मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराकर उन्हें कुपोषण से मुक्त रखना, गरीब बच्चों को नियमित रूप से विद्यालय आने में सहायता करना, छात्रों के स्कूल में ही रहने की संभावना को बढ़ाना, छात्रों को नियमित रूप से विद्यालय भेजने के लिए प्रोत्साहित करना, स्कूल ड्रॉप आउट को रोकना तथा छात्रों के पोषण संबंधी स्थिति में वृद्धि तथा उनके सीखने के स्तर को विकसित करना. लेकिन दुर्भाग्य है कि जिले के सुदूरवर्ती विद्यालयों में मिडे-डे-मील योजना दम तोड़ रही है.