Ranchi: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने गुरुवार काे बयान में कहा कि हेमंत सरकार में बाल अधिकार के मुद्दे पूर्ण रूप से दरकिनार है. राज्य में महिलाओं और बच्चों के साथ अमानवीय घटनाएं घट रही हैं और राज्य सरकार इस पर मौन है. महिलाओं और बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले पर झारखंड हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव, रांची के उपायुक्त एवं वरीय पुलिस अधीक्षक को कल तलब किया और उनसे इस दिशा में की जा रही कार्रवाई पर जानकारी ली और आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किये.
उन्हाेंने कहा कि किसी भी सभ्य समाज में महिलाओं और बच्चों की देखभाल करना संबंधित राज्य सरकार की प्राथमिकता में सबसे ऊपर होता है, परन्तु राज्य सरकार ने पिछले पांच वर्षों में कामकाजी महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के संबंध में एक भी उल्लेखनीय कार्य नहीं किया. महिलाओं एवं बच्चों के यौन उत्पीड़न को रोकथाम के लिए हेमंत सरकार ने अबतक कोई भी एसओपी नहीं बनाया है, जिसके कारण राज्य में महिलाओं और बच्चों का शोषण संबंधी अनुपात अन्य राज्यों के अपेक्षा झारखंड में काफी अधिक है. अब यह विडंबना है कि राज्य के हिम्मती मुख्यमंत्री का शासन रहते हुए महिलाओं और बच्चों के साथ हो रहे अपराध पर हाई कोर्ट को हस्तक्षेप करने पर बाध्य होना पड़ रहा है.
साह ने कहा कि हम सभी अखबारों में पढ़ते हैं कि रांची के हटिया रेलवे स्टेशन और रांची रेलवे स्टेशन सहित राज्य के अन्य रेलवे स्टेशनों से रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) द्वारा बाल तस्करों के चंगुल से नाबालिग युवक-युवतियों को मुक्त करा कर उन्हें राज्य सरकार को सौंप दिया जाता है. राज्य का खुफिया विभाग और सीआईडी तंत्र पूरी तरह से इन संवेदनशील मामलों फेल है, क्योंकि हेमंत सरकार ने तो उनको भाजपा के वरीय नेताओं की जासूसी में लगा रखा है. प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने बताया कि रांची के चौक-चौराहें, बस स्टैण्ड और सरकारी कार्यालय परिसर आदि हेमंत सरकार के गुणगान करते हुए संबंधी हजारों होर्डिंग्स, पोस्टर-बैनर से अटे पड़े हैं, लेकिन किसी भी होर्डिंग आदि में महिलाओं एवं बच्चों के यौन-उत्पीड़न, शोषण, बाल श्रम जैसे अपराध पर दंड संबंधी जागरूकता वाले पोस्टर कहीं पर भी आपको देखने को नहीं मिलेगा.
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