Anand Kumar
सोमवार की शाम लगातार.इन के दफ्तर के ठीक सामने रांची के किशोरगंज चौक पर हाथों में कागज पर दुष्कर्म पीड़िता को न्याय दिलाने के नारे लिखे हस्तलिखित पोस्टरों सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष अचानक प्रकट होते हैं. ठीक उसी समय जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का काफिला वहां से गुजरनेवाला होता है. सीएम का कारकेड रोकने का प्रयास होता है. कारकेड के आगे चल रही पुलिस गाड़ी तोड़ने की कोशिश होती है और वहां तैनात यातायात पुलिस के जवानों के साथ मारपीट की जाती है. पूरे इलाके में एक घंटे तक अफरातफरी कायम रहती है और कई आमजन भी भगदड़ में फंसकर चोटिल होते हैं और कई कारें उग्र प्रदर्शनकारियों के चढ़ने-कूदने से दबकर पिचक जाती हैं.
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जाहिर है यह पूर्व नियोजित घटना थी. किशोरगंज चौक अति व्यस्त भीड़ भरा चौराहा है. वहां ऐन मुख्यमंत्री के गुजरने के समय काफिला रोकने की कोशिश के बेहद गंभीर मायने हैं. गौरतलब है कि प्रदर्शनकारी पहले से वहां जमा नहीं थे. न ही उन्होंने प्रशासन को ऐसे किसी धरना-प्रदर्शन की सूचना दी थी. जिस तरह मुख्यमंत्री के आने के ठीक पहले यह भीड़ जमा हुई, उससे लगता है कि ये लोग पहले से आसपास इक्का-दुक्का की तादाद में जमा थे और जैसे ही उन्हें मुख्यमंत्री के काफिले के आगे चल रही पुलिस गाड़ी दिखी, उन्होंने उसे घेर कर हमला कर दिया.
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इस घटना से कई सवाल पैदा होते हैं.आमतौर पर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम और उनके आने जाने के रूट पहले से निर्धारित होते हैं, लेकिन हर बार वे फॉलो नहीं होते. मुख्यमंत्री आम तौर पर छह बजे और कभी-कभी इसके बाद प्रोजेक्ट भवन से निकलते हैं. सोमवार को वह जरा जल्दी निकले मगर इसकी भनक प्रदर्शनकारियों को पहले से थी. यानी सीएम के काफिले को घेरने की योजना पहले से बन चुकी थी. प्रदर्शनकारियों ने जिस तरह पायलट वाहन को आगे निकलने देकर काफिले के आने का इंतजार कर पुलिस गाड़ी पर हमला किया और वहां तैनात जवानों के साथ मारपीट की, उससे जाहिर है कि उनकी मंशा ठीक नहीं थी. ऐसा लगता है कि उनकी योजना मुख्यमंत्री को एक व्यस्त चौराहे पर अटकाने की थी. जाहिर था कि काफिला रुकते वहां भारी ट्रैफिक जाम और अफरा-तफरी के हालात पैदा होते. भीड़ का लाभ उठाकर ये उग्र प्रदर्शनकारी किसी अनहोनी को अंजाम भी दे सकते थे. राज्य में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोरचा ने भी इस घटना को सुनियोजित साजिश के तहत किया गया बताते हुए इसे कानून व्यवस्था को चुनौती बताया है.
इस घटना ने पुलिस के खुफिया निगरानी तंत्र पर भी सवाल खड़े कर दिये हैं. इतने सारे लोग एक ऐसी जगह जमा थे, जहां से मुख्यमंत्री को गुजरना था और खुफिया तंत्र को इसकी भनक तक नहीं थी.आमतौर पर मुख्यमंत्री के रूट पर स्पेशल ब्रांच कड़ी निगरानी रखता है. इससे पहले भी ऐसे कई वाकये हुए हैं, जिनमें वीवीआइपी सुरक्षा को लेकर खुफिया तंत्र अपनी भूमिका के साथ न्याय करने में विफल रहा है.
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सोमवार की घटना का वीडियो बहुत से राहगीरों ने बनाया है.चौराहे पर लगे यातायात कैमरों में यह वारदात कैद हुई है. लगातार.इन ने इस घटना को फेसबुक पर लाइव किया है. पुलिस-प्रशासन को चाहिए कि इन सभी की बारीकी से पड़ताल कर इस घटना में शामिल लोगों की शिनाख्त करे, ताकि इसके पीछे की मंशा सामने आ सके. महिलाओं के साथ यौन और हिंसक अपराध किसी भी सभ्य समाज के लिए कलंक और कानून-व्यवस्था मुंह पर कालिख है, लेकिन इसकी आड़ में राज्य को अशांत करने की कोशिश भी क्षम्य नहीं होनी चाहिए.