Akshay Kumar Jha
Ranchi/Dhanbad: धनबाद स्थित बीसीसीएल की रेलवे साइडिंग से रोज ही करोड़ों का कोयला चोरी हो रहा है. इसका नुकसान कोल कंपनी के साथ-साथ झारखंड सरकार को भी उठाना पड़ रहा है, लेकिन कंपनी कोयला चोरी पर रोक लगाने में नाकाम है. जबकि कंपनी में सीआईएसएफ की तैनाती है, इसके बावजूद कोयला चोरी नहीं रुकना कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों की नीयत पर सवाल खड़े करता है.
धनबाद प्रशासन की तरफ से इस चोरी पर नकेल लगाने की कोशिश की जा रही है. लेकिन बीसीसीएल कंपनी के उच्च अधिकारी प्रशासन का साथ देने में टाल-मटोल कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि कोयला चोरी में कंपनी के भी अधिकारियों की मिलीभगत है. इसलिए कंपनी के अधिकारी नहीं चाहते हैं कि कोयला चोरी रुके. जबकि कंपनी को इस चोरी से करोडों का नुकसान हो रहा है.
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लगातार घाटे में जा रही है बीसीसीएल
दूसरी तरफ से कंपनी के ताजा आंकड़े बताते हैं कि कंपनी घाटे में जा रही है. बीसीएल पर आर्थिक संकट का बादल मंडरा रहा है. कंपनी के वित्तीय वर्ष 2019-20 में जहां 918.68 करोड़ का फायदा हुआ था, वहीं चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 की सिर्फ दो तिमाही में कंपनी को 1,043.97 करोड़ का घाटा हो चुका है. पहली तिमाही में कंपनी को 684.61 करोड़ और दूसरी तिमाही में 359.36 करोड़ का घाटा हो चुका है.
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झारखंड सरकार के नियमों की भी हो रही अनदेखी
झारखंड में किसी भी तरह के खनन कार्य के लिए सरकार द्वारा एक फरवरी 2018 को नया गजट लागू किया गया. करीब दो साल बीतने को है लेकिन कंपनी ने अभी तक इन नियमों का पालन करना शुरू नहीं किया है. गजट के नियम सात के मुताबिक बिना डीलर रजिस्ट्रेशन कराये कोई भी कोयला खरीद-बिक्री, स्टॉक या ट्रांस्पोर्टेशन का काम नहीं कर सकता है.
टाटा स्टील को छोड़कर धनबाद की कोई भी कंपनी रेलवे साइडिंग या कोल वाशरी तक कोयला ट्रांसपोर्टिंग करने के लिए JIMMS Portal के ई परिवहन चालान का इस्तेमाल नहीं करती है. इससे विभाग को पता नहीं चल पाता है कि बीसीसीएल ने कितना कोयला खनन किया है. ई ऑक्शन के कोयले के अलावा बीसीसीएल रेल से ढोये जानेवाले कोयले का वजन खनन के बाद नहीं करती. खनन होने के बाद कोयला बीसीसीएल के रेल स्टॉक में जमा होता है, जहां भारी पैमाने पर कोयले की चोरी होती है. फिर से बचा कोयला रेल रैक में लोड होता है.
रैक जब रेलवे के इन-मोशन ब्रिज के जरिये गुजरती है, तब ही पता चल पाता है कि मालगाड़ी में कितना कोयला लोड है. इसी वजन के मुताबिक बीसीसीएल खनन विभाग को राजस्व चुकाता है, जो कि जितना मिलना चाहिए, उससे काफी कम होता है, क्योंकि बड़ी मात्रा में कोयला पहले ही चोरी हो चुका होता है.
जारी…