Paris : सीन नदी पर नावों में परेड करते खिलाड़ियों की मनोहारी छवियों के बीच परंपरा से हटकर आयोजित 33वें ओलंपिक खेलों के रंगारंग उद्घाटन समारोह में शुक्रवार को फ्रांस ने अपनी सांस्कृतिक विविधता, क्रांति के इतिहास, वास्तुकला की शानदार विरासत की बानगी दुनिया के सामने पेश की. आम तौर पर स्टेडियम में होने वाली देशों की परेड की परंपरा से अलग यहां छह किलोमीटर की परेड आस्टरलिज ब्रिज से शुरू हुई. इसमें 85 नावों में 205 देशों के 6800 से अधिक खिलाड़ी सवार थे. इसमें एक शरणार्थी ओलंपिक टीम भी शामिल थी.
उद्घाटन समारोह का आकर्षण सीन नदी पर खिलाड़ियों का मार्च था
भारी संख्या में खिलाड़ियों ने शनिवार को स्पर्धाएं होने के कारण उद्घाटन समारोह में भाग नहीं लिया. समारोह में हिंदी का पुट भी देखने को मिला जो सिस्टरहुड शीर्षक से पेश किये गये कार्यक्रम में मशहूर फ्रेंच महिलाओं के योगदान को याद करने के लिए छह भाषाओं में बनाये गये इंफो ग्राफिक्स की एक भाषा थी. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने खेलों की शुरूआत की घोषणा की, जिससे अगले 16 दिन तक चलने वाले इस महाकुंभ की औपचारिक शुरूआत भी हो गयी. उद्घाटन समारोह का आकर्षण सीन नदी पर खिलाड़ियों का मार्च था.
परेड सीन नदी के ऊपर से निकली, फ्रांस की राजधानी के मध्य से होकर गुजरी
पेरिस 2024 ओलंपिक उद्घाटन समारोह दुनिया द्वारा पहले कभी देखी गयी किसी भी चीज़ से अलग था. दुनिया के सबसे बड़े खेल शोपीस को आधिकारिक तौर पर हरी झंडी दिखाने के लिए राष्ट्रों की अपनी तरह की पहली परेड सीन नदी के ऊपर से निकली और फ्रांस की राजधानी के मध्य से होकर गुजरी. लगभग 6,800 एथलीटों ने , जिनमें से कई जल्द ही ओलंपियन बनने वाले हैं, 85 नावों पर जार्डिन डेस प्लांटेस के बगल में ऑस्टरलिट्ज़ पुल से ट्रोकैडेरो तक 6 किमी के मार्ग से यात्रा की, जो सिटी ऑफ़ लाइट्स के कुछ प्रतिष्ठित स्थलों से होकर गुजरे.
पीवी सिंधु, शरत कमल ने सीन नदी की जादुई यात्रा पर भारतीय ध्वज को ऊंचा रखा
आइए, अब भारत की बात करें. भारतीय दल, जिसमें 78 एथलीट शामिल थे, क्रम में 84वें स्थान पर थे. दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधु और चार बार के ओलंपियन शरथ कमल भारत के ध्वजवाहक थे, जिन्होंने इस्लामिक गणराज्य ईरान और इंडोनेशिया के साथ अपनी नाव साझा की थी. सिंधु ने परेड शुरू होने से कुछ क्षण पहले कहा, यह हम दोनों (शरत कमल) के लिए एक बार का अवसर और गर्व का क्षण है. मैं शरत को लंबे समय से जानती हूं और सह-ध्वजवाहक के रूप में उनके साथ रहना वास्तव में अच्छा लगता है. मैं चाहती हूं कि वह अच्छा करे और मैं चाहती हूं कि वह इसका आनंद उठाये. वह अपनी यात्रा में इतनी दूर आ गया है.
शरत कमल के लिए यह एक भावनात्मक दिन था : शरत ने कहा, पिछले कुछ दिनों से लोग मुझे बधाई दे रहे हैं. यह बहुत जबरदस्त रहा है और यह हम सभी के लिए एक बड़ा दिन होने वाला है.
भारतीय एथलीटों ने पारंपरिक पोशाकें पहनीं थी
भारतीय एथलीटों ने पारंपरिक पोशाकें पहनीं थी, जिनमें इकत-प्रेरित प्रिंट और बनारसी ब्रोकेड शामिल थे, जिसे तरुण ताहिलियानी ने डिजाइन किया था।. पुरुष पारंपरिक कुर्ता बूंदी सेट में लिपटे हुए थे जबकि महिलाएं साड़ी पहने हुए थीं. भारत के 117 खिलाड़ी इन खेलों में भाग ले रहे हैं जिनमें 47 महिलाए हैं.
पहले ओलंपिक खेलों के जनक यूनान का दल आया
फिर लौटते हैं समारोह की ओर. कार्यक्रम की शुरूआत में कैमरा फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रमुख थॉमस बाक पर था, जब फ्रांस के महान फुटबॉलर जिनेदीन जिदान को पहले से रिकॉर्ड किये गए वीडियो में ओलंपिक मशाल के साथ पेरिस की सड़कों पर दौड़ते दिखाया गया.फ्रांस की वर्णमाला के क्रम के अनुसार टीमों का आगमन हुआ. पहले ओलंपिक खेलों के जनक यूनान का दल आया, जिसके बाद शरणार्थी टीम आयी. मेजबान फ्रांस का दल सबसे आखिर में आया, जिसका प्रशंसकों ने जबर्दस्त करतल ध्वनि से स्वागत किया. भारतीय दल की अगुवाई दो ध्वजवाहकों दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधू और टेबल टेनिस दिग्गज अचंत शरत कमल ने की. महिला खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय ध्वज के तीन रंगों से बनी साड़ी और पुरुषों ने कुर्ता पायजामा पहना था. भारत के 78 खिलाड़ियों और अधिकारियों ने इसमें भाग लिया.
अमेरिकी पॉपस्टार लेडी गागा ने अपने सुरों से समा बांधा
नावें शहर की ऐतिहासिक इमारतों कैथेड्रल आफ नोत्रे डेम, लावरे म्युजियम और कुछ आयोजन स्थलों से होकर गुजरी. अमेरिकी पॉपस्टार लेडी गागा ने अपने सुरों से समा बांधा. उद्घाटन समारोह का निर्देशन थॉमस जॉली ने किया था. कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए दुनिया भर में मशहूर मिनियंस और एक लापता मोनालिसा भी थे जो आखिरकार सीन नदी में तैरते मिले. शहर में उद्घाटन समारोह के लिए दो लाख से अधिक मुफ्त टिकट दिये गये थे जबकि एक लाख से अधिक टिकट बिके थे. उद्घाटन समारोह की सुरक्षा के लिए काफी चाक चौबंद उपाय किये गये थे. भारी तादाद में पुलिसबल तथा सैनिक जगह जगह तैनात थे. समारोह में 18वीं सदी की फ्रांसीसी क्रांति की बानगी देता भी एक भाग था. आयोजकों ने सुरक्षा और लॉजिस्टिक की चुनौतियों से पार पाते हुए पूरे शहर को उद्घाटन समारोह का हिस्सा बनाकर अभूतपूर्व नजारा पेश किया. पेरिस में 1900 और 1924 के बाद तीसरी बार ओलंपिक हो रहे हैं.
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