Pravin kumar
Ranchi : झारखंड के सरकारी स्कूल के बच्चों को कंप्यूटर की पढ़ाई के लिए 3246 स्कूलों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) लैब का संचालन किया जा रहा है. कंप्यूटर की पढ़ाई कराने की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को दी गयी है. इस पूरे परियोजना की संचालन की जिम्मेवारी झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (जेईपीसी) की है. लेकिन जो इंस्ट्रक्टर स्कूलो में वर्षो से शिक्षा दे रहे थे, उनका मूल्यांकान किये जाने पर 85 प्रतिशत फेल हो गये. पूछे गये सवालो में कंप्यूटर को लेकर सामान्य सवाल थे. जानकारी के अनुसार 2018 से सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा को चरणबद्ध तरीके से देने की शुरुआत की गयी थी. लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी इसका सिलेबस तैयार नहीं किया गया. 2023-24 में 1821 स्कूलों में नया लैब स्थापित किया गया है. सत्र 2023-24 में स्वीकृत 1821 में से 1274 प्राथमिक विद्यालय और 43 माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं. इसके अलावा 2022-23 के लिए प्रारंभिक स्कूलो में स्वीकृत 221 और 283 माध्यमिक स्कूलों में लैब स्थापित की गयी. जिन स्कूलों में आईसीटी लैब बनाए गये है, वहां इंटरनेट सुविधा भी बहाल करनी थी. वर्तमान में राज्यभर में कुल 35,443 स्कूलों में से 2,976 स्कूल इंटरनेट कनेक्टिविटी से लैस हैं.
बिना सिलेबस के ही 5 सालों से बच्चो को मिलता रहा कंप्यूटर शिक्षा
जानकारी के मुताबिक राज्य में आईसीटी लैब का संचालन करने वाली कंपनीयों में बीसीसीएल, एकस्टर मार्स,मिलेनियम, हिटाची, एमजीआरएम,स्कूल नेट इंडिया लिमिटेड, और टीसीआईएल जैसी नामी कंपनीयां है. लेकिन बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा देने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ती होता रहा. कंपनीयां बिना सिलेबस के बच्चों को कंप्यूटर की पढ़ाई कराते रही. और जेईपीसी भी बिना मूल्यांकन के ही करोड़ो की राशि कंपनीयों को देता रहा.
कंप्यूटर की पढ़ाई करने वाले बच्चों का नहीं किया गया मूल्यांकन
कंप्यूटर की शिक्षा देने वाली कंपनियों को स्कूलों में आईसीटी लैब की स्थापना और बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए झारखंड शिक्षा परियोजना कंपनियों को एक मोटी रकम दे रही है. इसके बाद भी बिना सिलेबस के ही बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा देने के नाम पर सालो से खानापूर्ति किया जा रहा है. 2023-24 तक कंप्यूटर शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों का मूल्यांकन नहीं किया गया.
आईसीटी लैब इंस्ट्रक्टर 85 प्रतिशत फेल
स्कूलों में बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए कंपनीयों की ओर से आईसीटी लैब इंस्ट्रक्टर रखा जाता गया था. पहली बार मार्च 2024 में जेईपीसी इंस्ट्रक्टर का मूल्यांकान किया गया था जिसमें प्राप्त जानकारी के अनुसार 85 प्रतिशत फेल हो गये. इस मूल्यांकन में कम से काम 50 प्रतिशत नंबर लाना था. लेकिन राज्य के स्कूलो में कंपनीयों की ओर से नियुक्त किए गये आईसीटी इंस्ट्रक्टर का साक्षात्कार और संबंधित प्रमाण पत्र का सत्यापन जेईपीसी ने किया था.
जेईपीसी के कार्यशैली पर उठ रहा सवाल
राज्य के सरकारी स्कूलों में कंपनीयों की ओर से रखे गये आईसीटी लैब इंस्ट्रक्टर का साक्षात्कार और प्रमाण पत्रो की जांच जब जेईपीसी ने किया था तो नियुक्त इंस्ट्रक्टर आयोग्य कैसे हो जा रहे. इंस्ट्रक्टर की नियुक्ति के समय फर्जी दस्तावेजों और अपने चहेताओं को इंस्ट्रक्टर बनाने के इस खेल में झारखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को उठाना पड़ा है. इसकी भारपाई कौन करेगा.
[wpse_comments_template]