New Delhi : कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर मणिपुर के लोगों के साथ घोर अन्याय करने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि राज्य की स्थिति पर मोदी अब भी पूरी तरह खामोश हैं. विपक्षी दल ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के एक दिन बाद यह बयान दिया है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
9 months to the day and yet no meeting with the PM who continues to maintain total silence on Manipur. The PM goes to Guwahati for a road show but cannot and will not go to Imphal.
A horrific ANYAY by the PM on the people of Manipur!https://t.co/uuhkA0PMp4
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) February 4, 2024
मणिपुर पर प्रधानमंत्री की पूर्ण चुप्पी बरकरार है
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर शाह और मुख्यमंत्री की बैठक संबंधी खबर को संलग्न करते हुए कहा, नौ महीने हो गये, लेकिन प्रधानमंत्री के साथ कोई बैठक नहीं हुई. मणिपुर पर प्रधानमंत्री की पूर्ण चुप्पी बरकरार है. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री रोड शो के लिए गुवाहाटी जाते हैं, लेकिन वह इंफाल नहीं जा सकते और न ही जायेंगे. रमेश ने कहा, प्रधानमंत्री का मणिपुर के लोगों के साथ यह घोर अन्याय है. मणिपुर के मुख्यमंत्री सिंह ने शाह के साथ बैठक के बाद शनिवार को कहा था कि केंद्र सरकार इस राज्य के लोगों के हित में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेने की तैयारी में है.
हिंसा में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है
बैठक में दोनों नेताओं ने मणिपुर से संबंधितसर्वाधिक महत्व के मामलों पर चर्चा की. बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित करने के बाद तीन मई, 2023 को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क गयी थी. तब से जारी हिंसा में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है
कुकी समुदाय के एक वर्ग ने अलग प्रशासन या मणिपुर सरकार से अलग होने की मांग की है, वहीं मेइती समूह इसके खिलाफ हैं और विधायकों को ऐसे किसी भी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी है तथा उनसे ऐसे प्रयासों को विफल करने के लिए कहा है. मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि नगा और कुकी समेत आदिवासियों की संख्या करीब 40 प्रतिशत है और ये मुख्य रूप से पर्वतीय जिलों में रहते हैं.
[wpse_comments_template]