Kaushal Anand
Ranchi: हर पार्टी की तरह कांग्रेस भी विधानसभा चुनाव तैयारी पूरे जोर-शोर से कर रही है. नए प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमेलश लगातार जिलों के दौरे पर हैं. निजी तौर पर कांग्रेस कार्यकर्ता से संवाद स्थापित कर रहे हैं. इसके साथ ही पार्टी पूरी 81 सीट पर चुनाव तैयारी को लेकर अपनी ताकत आंकने में जुटी है. प्रत्याशियों के चयन के लिए स्क्रीनिंग कमेटी भी सक्रिय है. हर दिन पांच से सात विधानसभा सीट के लिए आए आवेदन और आवेदकों का इंटरव्यू किया जा रहा है. मगर इंटरव्यू का जो तरीका और टाइमिंग तय किया जा रहा है. उस पर सवाल उठने लगे हैं. झारखंड में करमा आदिवासी-मूलवासियों का अहम त्योहार के रूप में जाना जाता है. अधिकांश लोगों तीन से चार दिन उस पर्व में न चाहते हुए भी बिजी रहते हैं. अब ऐसे वक्त पर दावेदारों का इंटरव्यू बंद कमरे में कराना कहां से उचित है.
चुनाव लड़ने के इच्छुक व्यक्ति चाह कर भी अपने समर्थकों की भीड़ नहीं जुटा पा रहे हैं. यानि कि दावेदारों की दावेदारी को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है. सवाल उठाया जा रहा है कि स्क्रीनिंग कमेटी के पदाधिकारी भले दूसरे राज्य के हैं, मगर स्थानीय नेता क्यों करमा जैसे पर्व पर इंटरव्यू का तिथि तय कर रहे हैं. रविवार को लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, कोलेबिरा, सिसई, विशुनपुर और खूंटी विधानसभा सीट के दावेदारों की स्क्रीनिंग होगी. जबकि यह सीट पूर्णत: आदिवासी बहुल है और रविवार को करमा पर्व का बसौड़ी है, जिसमें आदिवासी समुदाय बिजी रहेंगे. इसलिए इस इंटरव्यू को आईवॉश ही कहा जा रहा है. अंतत: सीट और प्रत्याशी तो प्रदेश के बड़े नेता और पार्टी नेतृत्व ही करेगी, क्योंकि कांग्रेस तो इंडिया गठबंधन के तहत ही चुनाव लड़ेगी, सीट भी करीब-करीब तय है.
रांची सहित अन्य शहरी सीट कांग्रेस के लिए छोड़ने का दिया जा रहा स्क्रीनिंग कमेटी को तर्क
गत दिवस रांची, हटिया, खिजरी, कांके, मांडर और सिल्ली के लिए स्क्रीनिंग और इंटरव्यू हुआ. जिसमें शहरी सीट रांची और हटिया को लेकर अधिक दावेदार सामने आए. सभी का इंटरव्यू हुआ, जिसमें स्क्रीनिंग कमेटी के पदाधिकारियों को दावेदारों ने तर्क दिया कि रांची वैश्य बहुल सीट है. उपर से यह शहरी सीट रहा है. कभी इस सीट पर कांग्रेस का एकछत्र राज चलता था. इसलिए यह सीट कांग्रेस को ही लड़ना चाहिए. इतना ही राज्य के अन्य शहरी सीट पर भी कांग्रेस को लड़ने का सुझाव दिया जा रहा है. दावेदारों से उनके दावेदारी का तर्क और कारण पूछा जा रहा है.
हटिया सीट पर अजय नाथ शाहदेव को अपनों से ही अधिक खतरा
हटिया सीट से प्रबल और स्वाभाविक दावेदार अजय नाथ शाहदेव ही हैं. मगर उन्हें दूसरों से अधिक अपनों से ही खतरा है. गत दिवस हुए स्क्रीनिंग और इंटरव्यू में हटिया सीट के प्रबल दावेदार अजय नाथ शाहदेव, आलोक कुमार दूबे, विनय सिन्हा दीपू, लाल प्रेमनाथ शाहदेव, किशोर शाहदेव, आलोक दूबे, अमरेंद्र सिंह और अभिलाष साहू आदि शामिल हुए. जिसमें करीब-करीब सभी ने अजय नाथ शादहेव की दावेदारी को चुनौती दी. कहा कि अगर वे चाहते तो 2019 में ही चुनाव जीत जाते, मगर वे हार गए. दूसरा वे दूसरे पार्टी के भी संपर्क में बने हुए हैं. कब वे कहां चले जाएंगे, पता नहीं. वे ग्रास रूट कांग्रेसी भी नहीं रहे हैं. इसलिए हटिया सीट से ग्राम रूट कांग्रेसी को ही टिकट दिया जाना चाहिए.
कांग्रेस ने उतारी सर्वे टीम, कई बिंदुओं पर कर रही है रिपोर्ट तैयार
कांग्रेस पार्टी दावेदारों के दावेदारी और पार्टी की ग्राऊंड लेबल स्थिति जानने के लिए तीन-तीन सर्वे टीम तैनात कर दी है. यह टीम तीन से चार बिंदुओं पर सर्वे करके अपनी रिपोर्ट पार्टी केंद्रीय नेतृत्व को देगी. सर्वे टीम कौन सा प्रत्याशी जिताऊ होगा? पार्टी किस सीट पर अधिक मजबूत है? सीटिंग विधायक की वर्तमान में क्या स्थिति है अर्थात फिर से जीतने की स्थिति में है या नहीं? हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चल रही गठबंधन की सरकार की काम-काज को लेकर ग्राउंड में क्या स्थिति है? आदि बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयारी करेगी.
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