Ranchi/Delhi : दिल्ली हाईकोर्ट ने झारखंड के सारंडा वन में खनन पट्टे के लिए दायर आर्सेलर मित्तल इंडिया की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि आर्सेलर मित्तल को मई 2022 में वन मंजूरी देने से भी मदद नहीं मिलेगी, क्योंकि यह 2015 के तहत खनन पट्टा देने की नीलामी प्रणाली में छूट का लाभ उठाने के लिए 11 जनवरी 2017 की कट-ऑफ तारीख के बाद थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में आर्सेलर मित्तल इंडिया द्वारा झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में सारंडा जंगल (करमपाड़ा आरक्षित वन में 500 एकड़) में लौह अयस्क और मैंगनीज अयस्क खनन शुरू करने के लिए खनन पट्टा देने से इनकार को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है.
आर्सेलर मित्तल आशय पत्र के आधार पर खनन के किसी भी अधिकार का नहीं कर सकता है दावा
दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने कहा कि आर्सेलर मित्तल इंडिया केवल 2008 में अपने पक्ष में जारी किये गये आशय पत्र के आधार पर खनन के किसी भी अधिकार का दावा नहीं कर सकता है, जब उसे समय के भीतर अनिवार्य पर्यावरण और वन मंजूरी नहीं दी गयी थी. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि केवल केंद्र सरकार और झारखंड सरकार द्वारा वन या पर्यावरण मंजूरी आवेदनों को संसाधित करने में कथित देरी के कारण स्टील दिग्गज को कोई अधिकार नहीं मिलेगा. आर्सेलर मित्तल ने खनन पट्टे के लिए वर्ष 2007 में आवेदन किया था और 2015 के संशोधन अधिनियम से पहले उसे आशय पत्र (2008 में) दिया गया था. लेकिन उसे 11 जनवरी, 2017 की कट-ऑफ तारीख तक वन या पर्यावरण मंजूरी नहीं दी गयी थी.