New Delhi : मोदी सरकार ने आज मंगलवार को दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण से संबंधित अध्यादेश की जगह लेने वाला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 लोकसभा में चर्चा एवं पारित होने के लिए पेश कर दिया. गृह राज्य मंत्री नित्यानन्द राय ने इस बिल को पेश किया. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
Union Home Minister Amit Shah speaks on GNCT (Amendment) bill 2023 in the Lok Sabha, says “Constitution has given the House, power to pass any law regarding the state of Delhi. Supreme Court judgement has clarified that Parliament can bring any law regarding the state of Delhi.… pic.twitter.com/3iXTuFp0hD
— ANI (@ANI) August 1, 2023
Bill to replace ordinance for control of services in Delhi introduced in Lok Sabha
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— ANI Digital (@ani_digital) August 1, 2023
#WATCH | “Biju Janata Dal has decided to support the passing of the Delhi bill (Delhi Services Bill) and we will be opposing the no-confidence motion brought by the opposition. In this regard, a three-line whip has been issued by the party, both through the Rajya Sabha and Lok… pic.twitter.com/W3ezPdGta3
— ANI (@ANI) August 1, 2023
लोकसभा में बीजेडी के 12 और राज्य सभा में नौ सांसद हैं
जान लें कि ओड़िशा के बीजेडी ने भी इस बिल को लेकर मोदी सरकार का समर्थन करने की घोषणा कर दी है. सूत्रों के अनुसार दिल्ली सेवा बिल और विपक्ष द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी सरकार के साथ बीजेडी आ गया है. है. लोकसभा में बीजेडी के 12 और राज्य सभा में नौ सांसद हैं. यानी बीजेडी के समर्थन के बाद दिल्ली सेवा बिल के राज्यसभा में पारित होने पर कोई संशय नहीं है. आंध्रप्रदेश में सत्तारूढ़ YSR कांग्रेस पहले ही सरकार को समर्थन देने की घोषणा कर चुकी है.. दिल्ली सेवा बिल के पक्ष में अब कम से कम 128 वोट हैं.
अधीर रंजन, मुंशीप्रेमचंदन ने किया विधेयक का विरोध
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक पेश होने पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने अपनी बात ऱखते हुए कहा कि यह बिल संघीय सहकारितावाद की अवधारणा का उल्लंघन है. यह भी कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है. आरोप लगाया कि यह बिल दिल्ली एलजी की शक्तियों का विस्तार करने के लिए है. इसस क्रम में आरएसपी नेता एनसी मुंशीप्रेमचंदन ने भी बिल का विरोध किया. बिल को संघीय ढांचे के खिलाफ करार दिया.
लोकसभा में मोदी सरकार बहुमत में है
लोकसभा के संख्याबल की बात करें तो मोदी सरकार यहां बहुमत में है. भाजपा के प 301 सांसद हैं. एनडीए की बात करें तो 333 सांसद हैं. पूरे विपक्ष के पास 142 सांसद हैं. सबसे ज्यादा कांग्रेस के 50 सांसद हैं. लोकसभा में दिल्ली अध्यादेश पर बिल आसानी से पास हो जायेगा.
राज्यसभा में भाजपा के 93 सांसद हैं.
राज्यसभा की बात करें तो यहां भाजपा के 93 सांसद हैं. सहयोगी दलों को मिलाकर यह नंबर 105 पर पहुंच जाता है. साथ ही भाजपा को पांच मनोनीत और दो निर्दलीय सांसदों का समर्थन मिलना तय है. यानी भाजपा के पास कुल 112 सांसद हो जायेंगे. फिर भी यह बहुमत के आंकड़े से 8 सांसद कम हैं.
भाजपा को बीएसपी, जेडीएस और टीडीपी के एक-एक सांसदों का भी समर्थन मिलने की उम्मीद है. बीजेडी या वाईएसआर कांग्रेस के के राज्यसभा में 9-9 सांसद हैं और दोनों ही दलों ने बिल पर केंद्र का समर्थन करने का फैसला किया है. ऐसे में भाजपा बहुमत के पार हो जायेगी.
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