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प्रतुल शाहदेव ने कहा, अदालत में विचाराधीन मामले पर जजमेंट सुना कर गलत कर रहे स्पीकर.
स्पेशल ब्रांच ने 2 जून, 2023 को लिखे पत्र में स्वीकारा है कि झारखंड में घुसपैठियों के दस्तावेज तैयार हो रहे हैं
असम के मुख्यमंत्री के दौरों पर आपत्ति करने का स्पीकर को कोई हक नहीं
स्पीकर अपनी संवैधानिक पद की मर्यादा का ख्याल रखें
Ranchi : भाजपा ने स्पीकर रविंद्र नाथ महतो को उनके डेमोग्राफी में बदलाव से इनकार करने वाले बयान पर घेरा. प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने कहा कि डेमोग्राफी बदलाव का मामला फिलहाल उच्च न्यायालय में विचाराधीन है. उच्च न्यायालय ने सीमावर्ती 6 जिलों के उपायुक्तों को इस मुद्दे पर शपथ पत्र दाखिल कर यह बताने को कहा है कि उनके जिलों में कितने घुसपैठिए रह रहे हैं और उनको कैसे निकाला जाये. कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा कोई निर्णय सुनाने के पहले ही स्पीकर का इस मामले में हस्तक्षेप करना सीधे तौर पर उच्च न्यायालय की अवमानना है.
घुसपैठियों को संताल के मदरसों में ठहराया जाता है
प्रतुल ने कहा एक तरफ स्पीकर डेमोग्राफी में बदलाव से इनकार कर रहे हैं जबकि देश की जनगणना के आधिकारिक आंकड़ों में 1951 से 2011 के बीच संताल के इलाके में आदिवासियों की आबादी 16% घटी है और मुसलमान की आबादी 13% बढ़ी है. यह सीधे तौर पर घुसपैठ का मामला है. 1951 से 2011 के 60 वर्षों के कार्यकाल में 85% समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार सत्ता में थी, तो इस घुसपैठ के लिए सीधे तौर पर कांग्रेस की तत्कालीन सरकारें जिम्मेदार है. प्रतुल ने कहा 2 जून, 2023 को सभी जिले के उपायुक्तों को पत्र लिखकर स्पेशल ब्रांच ने स्पष्ट रूप से कहा था कि घुसपैठियों को संताल के मदरसों में ठहराया जाता है और उनके सरकारी दस्तावेज तैयार किये जाते हैं. प्रतुल ने जानना चाहा कि क्या स्पीकर राज्य सरकार के स्पेशल ब्रांच से भी सहमत नहीं है?
स्पीकर एक राजनीतिक दल के प्रवक्ता की तरह बयान दे रहे
प्रतुल ने कहा कि स्पीकर का पद एक संवैधानिक पद होता है और राजनीति से ऊपर का माना जाता है, लेकिन यहां स्पीकर एक राजनीतिक दल के प्रवक्ता की तरह बयान दे रहे हैं और विचाराधीन मामलों पर भी टिप्पणी कर रहे हैं, जो कि सर्वथा अनुचित है. स्पीकर को अपने संवैधानिक कुर्सी की मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए.
असम के मुख्यमंत्री पर टिप्पणी करना समझ से परे
स्पीकर का असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा के दौरों पर भी टिप्पणी करना समझ से परे है और आपत्तिजनक है. प्रतुल ने कहा असम के मुख्यमंत्री झारखंड के चुनाव सह प्रभारी की हैसियत से झारखंड का दौरा कर रहे हैं. पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा को असम के मुख्यमंत्री के दौरों से भय लगता था. झामुमो के नेताओं ने इन दौरों के खर्च तक पर भी आवाज उठाई थी. अब स्पीकर भी वही भाषा बोलते दिख रहे हैं, जो संविधानिक परंपराओं के प्रतिकूल है.
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