Deoghr : देवघर (Deoghar)– देवघर सिविल कोर्ट में पेशी के लिए आए अमित सिंह पर दिनदहाड़े गोलियां दागी गई, जिससे उसकी मौत हो गई. उसकी मौत के बाद कई तरह के खुलासे हो रहे हैं. बिहार के पटना निवासी अमित सिंह क्रिमिनल बैक ग्राउंड का था. उसपर झारखंड और बिहार में कई संगीन मामले दर्ज थे. वर्ष 2012 में देवघर के व्यवसायी चंचल कोठारी के अपहरण का भी उसपर आरोप था. अपहरण मामले में वह कोर्ट में पेश होने से बचता रहा. कानूनी शिंकजा कसने के बाद वह अदालत में पेश होने लगा.
घटना के वक्त वह सिविल कोर्ट में पटना से पेशी के लिए आया था. उसके हाथ में हथकड़ी लगे थे. उसे लेकर बिहार पुलिस के चार जवान देवघर पहुंचे थे. एडीजे-3 गरिमा मिश्रा के चैंबर में सुनवाई थी. एडीजे चैंबर में भी वह गया. वहां से निकलने के बाद वकील के पास कर्कटनुमा घर में बैठा. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इसी दौरान दो अज्ञात अपराधियों में से एक ने पीछे से गोलियां चलाई. भागने के क्रम में अपराधियों का पिस्टल वहीं गिर पड़ा. भागते हुए अपराधियों ने हवाई फायरिंग भी की. पुलिस ने पिस्टल जब्त कर लिया. आनन-फानन में उसे सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद मृत घोषित कर दिया.
गोलियां चलने की आवाज सुनकर कोर्ट में अफरातफरी मच गई. लोग इधर-उधर भागने लगे. लोगों के चेहरे पर परेशानी झलक रही थी. न्यायिक पदाधिकारी, वकील और न्यायलय कर्मी अपने कक्षों से बाहर निकल आए. घटना के बाद संथालपरगना प्रक्षेत्र के डीआईजी सुदर्शन मंडल और देवघर एसपी सुभाष चंद्र जाट घटनास्थल पर पहुंचे. अमित की मौत को मौत को डीआईजी ने सुरक्षा चूक माना है.
अमित के मौत की खबर पाकर उसके परिजन अस्पताल पहुंचे. पत्रकारों ने उन लोगों से सवाल भी पूछे. परिजनों ने कुछ भी उत्तर नहीं दिया. अमित की पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल में डॉक्टरों की टीम बनाई गई. टीम में डॉ. कुंदन, डॉ. अंबरीश ठाकुर और डॉ. दिवाकर पासवान शामिल हैं.
देवघर पुलिस ने बिहार पुलिस के चारों जवान एएसआई राम अवतार, मनोज कुमार साह, महेश कुमार और ताबिश खान को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है.
घटना के बाद देवघर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता बालेश्वर सिंह ने सिविल कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है. उनका कहना है कि कोर्ट परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे होने से अपराधियों की पहचान हो पाती. कोर्ट परिसर में दो प्रवेश द्वार है. दोनों जगह सुरक्षा गार्ड तैनात रहने से घटना नहीं घटती. दोनों जगहों पर सुरक्षा गार्डों की तैनाती जरूरी है.
पुलिस की मौजूदगी में दिनदहाड़े गोलियां चलाकर आरोपी की हत्या सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है. अपराधियों को गोली चलाते बिहार पुलिस के जवानों ने भी देखा. बावजूद इसके चारों जवानों ने जबावी कार्रवाई नहीं की.
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