Ranchi: राज्य सरकार ने ग्रामीण परिवारों को मनरेगा के तहत स्थायी आजीविका उप्लब्ध कराने में बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है. मनरेगा के लक्ष्य अंतर्गत 9 करोड़ मानव दिवस निर्माण किया जाना है. अबतक उसमें 890 लाख मानव दिवस का सृजन किया जा चुका है. राज्य सरकार ने 12.5 लाख के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत सरकार से अनुरोध किया है. जिसे मार्च तक किया जाना है. मनरेगा के तहत अबतक कुल 8 लाख 77 हजार 682 नये परिवारों को जॉबकार्ड दिया जा चुका है. इसमें कुल 11 लाख 95 हजार 639 मजदूर शामिल हैं. झारखण्ड के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2,74,184 लाख रूपये और 800 लाख मानव दिवस श्रम बजट का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.
मजदूरी भुगतान में झारखंड सरकार सबसे आगे
मनरेगा मजदूरों को सही समय पर मजदूरी देने के मामले में राज्य देश में पहले स्थान पर है. इसके लिए सरकार ने रोजगार अभियान चलाया था. पंचायत स्तर पर योजनाओं को पूरा करने के लिए मनरेगा मजदूरों को एकजुट करने का प्रयास किया गया. सरकार द्वारा रोजगार अभियान के 35 दिनों के अंदर 140 लाख मानव दिवस निर्माण किया गया. साथ ही 82 हजार योजनाओं को भी पूरा किया गया है.
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रोजगार एवं आजीविका में मनरेगा ने निभाई अहम भूमिका
मनरेगा योजना ने कोरोना महामारी के दौरान गरीब परिवारों और प्रवासी मजदूर के लिए आजीविका के रूप में अहम भूमिका निभाई है. इस दौरान बिरसा हरित ग्राम योजना, निलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना, वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना और दीदी बाड़ी योजना का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 26 हजार एकड़ भूमि पर 30 हजार से अधिक परिवारों के साथ बागवानी का काम जारी है. निलाम्बर-पीताम्बर योजना के जरिए लगभग 80 हजार योजनाओं को पूरा किया जा रहा है. जबकि राज्य में 1,50,210 योजनाओं पर कार्य जारी है. राज्य सरकार द्वारा ‘वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना’ के तहत 1805 योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है.
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