New Delhi : सीबीएसई की ओर से कराए जा रहे 10वीं और 12वीं के टर्म-2 बोर्ड एग्जाम इस साल की पहली लिखित परीक्षा होगी. सीबीएसई ने टर्म-1 के एग्जम ऑब्जेक्टिव तरीके से कराए थे, जिसमें स्टूडेंट्स को सिर्फ एक सही ऑप्शन चुनना था. इस साल 10वीं और 12वीं के एग्जाम दे रहे छात्रों के लिए यह एकदम नया अनुभव होगा, क्योंकि उन्हें 9वीं और 11वीं क्लास में बगैर एग्जाम के ही प्रमोट कर दिया गया था.
टाइम मैनेजमेंट है असल चुनौती
अब करीब दो साल बाद ये सभी स्टूडेंट्स किसी सब्जेक्टिव एग्जाम में शामिल होंगे. ऑनलाइन क्लास की वजह से इन बच्चों की लिखने की प्रैक्टिस भी खत्म हो चुकी है. शिक्षकों ने बताया कि स्टूडेंट्स लिखने की प्रैक्टिस न होने की वजह से काफी मुश्किलें झेल रहे हैं. उन्होंने कहा कि टाइम मैनेजमेंट को लेकर भी उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इंग्लिश, हिस्ट्री और पॉलिटिकल साइंस जैसे सब्जेक्ट में बच्चे डिटेल में लिख नहीं पा रहे हैं. साथ ही बड़े उत्तर लिखने में उन्हें परेशानी हो रही है. इसके अलावा फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायो के एग्जाम में भी केस स्टडी, विश्लेषण करने में मुश्किल आ रही है. मैथ्स के पेपर में भी कई स्टूडेंट्स जरूर स्टेप्स को फॉलो किए बगैर अपने जवाब लिख रहे हैं.
ग्रामीण इलाकों में ज्यादा परेशानी
यही हाल देश के तमाम स्कूलों के बच्चों का है. बीते दो साल से कोरोना महामारी की वजह से उनकी रेगुलर तरीके से क्लास नहीं हो पाईं. साथ ही उन्हें ऑनलाइन क्लास पर निर्भर रहना पड़ा. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती उन निम्न वर्ग के स्टूडेंट्स के सामने है जिनके पास ऑनलाइन क्लास का विकल्प भी मौजूद नहीं था. ग्रामीण इलाकों में डिजिटल सुविधाएं कम थीं और ऐसे में उन बच्चों की पढ़ाई पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा है.
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