Patna: असम में सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने होटल-रेस्तरां और सार्वजनिक जगहों पर बीफ नहीं परोसने का फरमान सुनाया और इसकी गूंज बिहार में भी सुनाई दी. असम में भाजपा सरकार के इस आदेश पर विरोध भी शुरू हो गया. इसका विरोध एनडीए में जदयू ने किया. केंद्र और बिहार में बीजेपी की सहयोगी पार्टी जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि भारत का संविधान सबको खाने-पीने की आजादी देता है. होटल या सार्वजनिक स्थान पर बीफ बैन का हम समर्थन नहीं करते. इससे समाज में तनाव फैलेगा जो पहले से ही काफी ज्यादा है. इसके अलावा जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने भी कहा कि लोगों को खाने-पीने की आजादी होनी चाहिए. उन्होंने इस फैसले को राजधर्म के खिलाफ बताते हुए समझ से परे बताया.
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के मुद्दे पर जदयू ने तटस्थ रुख अपनाया था
राजीव ने कहा कि सरकार को इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए कि लोग क्या खा रहे हैं और क्या पहन रहे हैं? हालांकि इससे पहले वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के मुद्दे पर जदयू ने तटस्थ रुख अपनाया था. वहीं कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नेमप्लेट के फैसले का खुलकर विरोध किया था. अब किसान आंदोलन के मुद्दे पर भी जदयू ने बीजेपी से अलग रुख अपनाया है. जदयू ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कृषि मंत्री शिवराज सिंह से पूछा था कि किसानों से किए गए वादे पूरे क्यों नहीं कर रही सरकार? राजनीति में विरोध कोई नयी बात नहीं है, लेकिन नीतीश की पलटी मार नीति से सवाल जरुर उठते हैं.
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