LagatarDesk : यह जमाना ऑनलाइन परचेचिंग का है. जिसे देखो, वही ऑनलाइन सामान खरीद रहा है. वास्तव में ऑनलाइन परचेचिंग कहीं से खराब नहीं है. भारत में करोड़ों लोग इस तरीके से ही परचेचिंग करते हैं. इसके फायदे तो अनेक हैं पर आपके ठगे जाने के चांसेज भी बहुत ज्यादा हैं. आज आपको हम बताने जा रहे हैं कि ऑनलाइन परचेचिंग करते वक्त किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए…
यूं तो आजकल इतनी ऑनलाइन कंपनियां आ गयी हैं कि पूछिए मत. लोग भी सभी कंपनियों में ऑनलाइन सामान खरीदते हैं. अनेक कंपनियां प्रायः हर प्रोडक्ट के साथ ऑफर भी देती है. वैसे भी, आज कल सुई से लेकर सोना तक सब ऑनलाइन बाजार में उपलब्ध है.
जरुरत नहीं होने पर भी लोग ऑनलाइन खरीदते हैं सामान
छोटी से बड़ी कोई भी ऑनलाइन कंपनी हो, उनमें हजारों आइटम रहते हैं. ये वो आइटम होते हैं जिनकी जरूरत न होने पर भी आप कभी न कभी खरीद कर रख लेते हैं. जैसे कान खोदने वाला ईअर बर्ड हो या फिर नेल कटर. ऐसे कई उत्पाद हैं जिनकी आपको बहुत जरूरत नहीं होती, फिर भी आप रख लेते हैं.
ऑनलाइन परचेचिंग के लिए हैं कई बड़ी कंपनियां
अगर आपने मूड बना लिया है कि आप ऑनलाइन परचेचिंग करेंगे ही तो कई कंपनियां हैं. फ्लिपकार्ट, एमेजान, मीशो, कलर्स, येबी, ईबे, जाबोंग, अली बाबा, स्नैपडील, मिंत्रा….लंबी फेहरिस्त है. ये वो कंपनियां हैं, जिन्हें भारत भर के लोग जानते हैं. ये बड़ी कंपनियां हैं. इसके अलावे भी दर्जनों कंपनियां हैं जो ऑनलाइन बिजनेस में सक्रिय हैं.
ऑनलाइन शॉपिग करते समय इन बातों का रखें ध्यान
मान लें कि आप एक पेयर बाल्टी खरीदना चाहते हैं. आपने देखा, एक पेयर बाल्टी की कीमत मात्र 199 रुपये है. आपको अगर 199 रुपये में दो बाल्टियां मिल जाएं तो आप खुश होंगे ही. लेकिन ठहरें. पहले आप उस प्रोडक्ट के इंफो सेक्शन में जाएं. अगर वेबसाइट या एप में इंफो का कॉलम नहीं है तो हमारी सलाह है, आप यह खरीदारी न करें. इसके पीछे के कारण को समझें.
कई बार ऐसा होता है कि आपको प्रोडक्ट का जो चित्र दिखाया जाता है, वह डिलीवरी टाइम में नहीं होता. पिक्चर कुछ दिखती है, डिलीवरी कुछ और होता है. इसलिए जो भरोसेमंद कंपनियां होती हैं, वो इंफो का कॉलम जरूर देती हैं. इंफो में सब कुछ साफ-साफ लिखा रहता है. जैसे, प्रोडक्ट का नाम, उसकी मैन्युफैक्चरिंग की तारीख, वजन, कलर, कैपेसिटी, ब्रांड नेम, प्राइस, वैलिडिटी, किस मैटेरियल से बना है, वारंटी, गारंटी आदि.
सरकार की गाइडलाइन, प्रोडक्ट की पूरी डिटेल्स देना जरूरी
भारत सरकार ने सभी ऑनलाइन शापिंग वेबसाइटों के लिए अनिवार्य कर दिया है कि वो जो भी प्रोडक्ट बेचेंगे, उसकी पूरी डिटेल्स होनी चाहिए. आप जब पूरी डिटेल्स को देख लेंगे तब खरीदारी करने में आसानी होगी.
ऑर्डर करने के पूर्व इन बातों का रखें ध्यान
आर्डर करने के पूर्व आप देख लें कि जो चीज आपको चाहिए, वही चीज आप खरीदने जा रहे हैं. इतना ही नहीं, जो कलर आपको चाहिए, वह उपलब्ध है या नहीं. अगर आपके मन में कोई शंका हो तो उस कंपनी के कस्टमर केयर नंबर पर फोन करके आप अपनी तसल्ली कर सकते हैं.
ऑनलाइन ऑर्डर करने पर दें पूरा एड्रेस
अब आता है एड्रेस का मामला. एड्रेस आप वहीं का दें, जहां आपको प्रोडक्ट की डिलीवरी करवानी हो. पूरा पता लिखें. राज्य और पिन कोड अनिवार्य है. ऐसा नहीं करने से आपका प्रोडक्ट लेट से डिलीवर होगा या फिर नहीं भी मिल सकता है. फिर आप कंपनी को कोसेंगे जबकि गलती आपकी है.
पेमेंट ऑप्शन्स में सतर्कता जरूरी
पेमेंट के ऑप्शन में बहुत सतर्क रहना है. यह सतर्कता आपको तब दिखानी है जब आप किसी ऑर्डर को कंफर्म करने जा रहे हैं. आपसे पेमेंट ऑप्शन पूछा जायेगा. डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, वालेट, लेजी पे या फिर कैश इन डिलेवरी. इनमें कैश इन डिलेवरी ही एकमात्र ऑप्शन है, जहां आप प्रोडक्ट पाने के बाद पेमेंट करते हैं. शेष सभी ऑप्शन्स ऐसे हैं, जहां आपको एडवांस में पेमेंट करना होता है. आप देख लें, आपको कौन सा विकल्प सूट करता है.
प्रोडक्ट में ऑफर होने पर बरतें सावधानी
कई कंपनियां क्रेडिट कार्ड पर कई बार 1 से 10 प्रतिशत तक की छूट देती हैं. कई कंपनियां एक धेले की भी छूट नहीं देतीं. लेकिन जो देती हैं, जो उन फायदों को लेना चाहते हैं, उनके लिए हमारी सलाह है. अगर प्राइस 199 है और आप क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने जा रहे हैं तो जरूर देख लें कि आपका पेबल अमाउंट कितना है. अगर कंपनी की वेबसाइट में 199 रुपये की फाइनल पेमेंट देने का ऑप्शन आ रहा है जबकि 10 प्रतिशत का ऑफर क्रेडिट कार्ड के लिए ऑफ है तो समझ लें कि कुछ गड़बड़ है.
अगर प्राइस 199 रुपये है और क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर 10 प्रतिशत की छूट मिल रही है तो आपका फाइनल प्राइस 19 रुपये कम होना चाहिए. यानी, आपका पेमेंट 180 रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए. अगर 180 रुपये का पेमेंट फाइनल पेमेंट है तो उसे कर दें.
यह काम भूल कर भी ना करें
जब पेमेंट कर दें तो अपने क्रेडिट कार्ड का एम पिन या पासवर्ड कभी भी वेबसाइट में सेव न करें. वेबसाइट आपसे पूछेगा भी कि क्या आपके पासवर्ड को सेव कर दें तो आप उसे नो कर दें या फिर इग्नोर कर दें. वेबसाइट पर पासवर्ड या एमपिन सेव करना सदैव जोखिम भरा होता है. इससे बचना चाहिए.
कैश ऑन डिलीवरी पर एक्सट्रा चार्ज से ऐसे बचें
कई कंपनियां कैश ऑन डिलीवरी पर एक्सट्रा चार्ज लेती हैं. जैसे 199 का प्रोडक्ट है तो कई बार उसमें डिलीवरी चार्ज के रूप में 45 से 55 रुपये जोड़ दिये जाते हैं. ऐसे में आप उस प्रोडक्ट को उस व्यक्ति को ऑर्डर करने के लिए ट्रांसफर कर सकते हैं, जो उस कंपनी में लंबे समय से खरीदारी कर रहा हो. जैसे, फ्लिटकार्ट में एक कैटेगरी है प्लस मेंबरशिप. प्लस मेंबरशिप उन्हें मिलती है जो कंपनी से हर महीने सैकड़ों या हजारों में खरीदारी करते हैं. लेकिन, इस तरह की स्कीम शेष कंपनियां भी चलाती हैं. आपको सभी कंपनियों के सिस्टम को समझने की जरूरत है. ये आप्शन आपके 45 से 55 रुपये बचा देगा. अगर आपके कनेक्शन में कोई नहीं है तो मजबूरी में आपको 45 से 55 रुपये एक्सट्रा देने ही होंगे.
सामान खरीदने से पहले रिफंड पॉलिसी को अच्छे से पढ़े
कुछ कंपनियां रिफंड को लेकर आना-कानी करती हैं. जैसे, आपने 199 रुपये की बाल्टी मंगवा ली. आपको बाल्टी पसंद नहीं आयी. या तो उसका मैटेरियल कमजोर है या फिर आपको उसका कलर पसंद नहीं आया. आप उसे रिटर्न कर अपना रिफंड लेना चाहते हैं. कुछ कंपनियां यहां पर आपसे चिकचिक करेंगी. वो कहेंगी कि आप इसके बदले दूसरा आइटम ले लें. हम इसे रिटर्न तो ले लेंगे पर रिफंड नहीं करेंगे. इस किस्म के झमेले से बचने के लिए आपको फिर से ऑर्डर बुक करने वाले मैथड पर वापस जाना होगा. वहां आप चेक कर लें कि जिस कंपनी से आप कोई सामान खरीदने जा रहे हैं, उसमें रिफंड पॉलिसी है कि नहीं. रिफंड पॉलिसी को पूरा पढ़ लें. फिर, उस प्रोडक्ट के बारे में भी पढ़ें और देखें कि उसमें 7 दिन, 15 दिन, 30 दिन या 45 दिन की रिटर्न पॉलिसी है या नहीं. अगर रिटर्न पॉलिसी नहीं है और आप सामान खरीद रहे हैं तो समझें कि आप खुद से जुआ खेल रहे हैं. अगर रिटर्न पॉलिसी हो, तभी सामान खरीदें.
7 दिन में नहीं आया रिफंड तो नोडल ऑफिसर को करें कंप्लेन
कई कंपनियां रिटर्न पॉलिसी होने के बावजूद पेमेंट करने में आना-कानी करती हैं. इसमें आपको आरबीआई की तरफ से जारी गाइडलाइन की भी जानकारी होनी चाहिए. वैसी स्थिति में, जब आपने सामान वापस कर दिया है, आपके पास अधिकतम 7 सेवा दिवसों (7 working days) के भीतर पेमेंट आ जाना चाहिए. अगर पेमेंट नहीं आती है तो आप नोडल ऑफिसर को कंप्लेन कर सकते हैं. वैसे, फ्लिपकार्ट जैसी कुछ कंपनियां हैं जो रिटर्न लेने के चंद घंटों के भीतर ही आपके खाते में रिफंड कर देती हैं.
सही तरीके से करें ऑर्डर
ऑनलाइन कंपनी से प्रोडक्ट मंगवाने में सबसे बड़ी दिक्कत ये होती है कि अधिकांश लोग सही तरीके से ऑर्डर नहीं कर पाते. मान लें आपको एक चप्पल मंगवाना है. आप 10 नंबर का चप्पल पहनते हैं. आपने 10 नंबर पर क्लिक कर दिया पर ये नहीं देखे कि ये जो 10 नंबर का चप्पल है, उसका साइज कितना बड़ा है. कई चप्पल इंडियन साइज के होते हैं, कई चप्पल यूरो साइज के होते हैं. इंडियन साइज और यूरो साइज में फर्क होता है. आप इंडियन साइज का 10 नंबर पहन रहे हैं और ऑर्डर आपने अगर यूरो साइज के 10 नंबर का कर दिया तो इंडियन साइज का 12 नंबर का चप्पल आपको मिलेगा. यानी, दो नंबर बढ़ा हुआ आपको मिलेगा. अब आप चिल्लाएंगे कि हमने 10 नंबर का ऑर्डर किया था और ये इतना बड़ा आ गया. दरअसल, आप जब यूरो में जा रहे हैं तो आपको 8 नंबर का चप्पल चूज करना चाहिए. इसके लिए आपको आर्डर देने के पहले मिजरमेंट गाइडलाइंस को ध्यान पूर्वक पढ़ लेना चाहिए.
उम्मीद है, आप जब इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आपको ऑनलाइन शॉपिंग में कभी दिक्कत नहीं होगी.