Sourav singh
Ranchi : राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सरकार की ओर से चौक-चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाया गया है. वर्ष 2010 में इसकी शुरुआत हुयी थी. शहरी क्षेत्र के कई मुख्य चौक-चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल सिस्टम लगाया गया है. जिसमें करोड़ों रूपये खर्च भी हुये है. राजधानी रांची की तीन मुख्य सड़कों की बात करें तो जिनमें चांदनी चौक से बिरसा चौक, बूटी मोड़ से राजभवन और बूटी मोड़ से हिनू की सड़कें शामिल हैं. इन तीनों मुख्य सड़कों पर कुल 32 ट्रैफिक सिग्नल लगे हुए हैं. इन ट्रैफिक सिग्नल से आने जाने में करीब 60 बार रेड लाइट, लोगों की रफ्तार पर ब्रेक लगाता है. सबसे बड़ा सिरदर्द करमटोली चौक जहां लोग ट्रैफिक सिग्नल के वजह से जाम में फंस जाते हैं.
बूटी मोड़ से राजभवन के बीच 6 ट्रैफिक सिग्नल
बूटी मोड़ चौक से राजभवन आने में 6 ट्रैफिक सिग्नल मिलते हैं, जिनमें बूटी मोड़ चौक, रिम्स, पल्स हॉस्पिटल, करमटोली चौक, एसएसपी आवास और राजभवन चौक के पास ट्रैफिक लगे हैं. लेकिन करमटोली चौक लोगों के लिए सिरदर्द बना हुआ है. इसके पीछे की वजह ये है की इन स्थानों पर वाहनों का लोड सबसे अधिक और उसके हिसाब से ट्रैफिक सिग्नल की टाइमिंग सेट नहीं है. इसका नतीजा यह है कि अचानक वाहनों की कतार लग जाती है. सड़क पर गाड़ियों के लोड के कारण ग्रीन सिग्नल के समय लोग वाहन पार नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण जाम की स्थिति हो जाती है.
कांके रोड के चांदनी चौक से बिरसा चौक के बीच 15 ट्रैफिक सिग्नल
कांके रोड के चांदनी चौक से बिरसा चौक जाने में 15 ट्रैफिक सिग्नल मिलते हैं. जिनमें चांदनी चौक, राम मंदिर , हॉट लिप्स, रातू रोड चौक से पहले, रातू रोड चौक, शनि मंदिर, गाड़ीखाना, किशोरगंज, भारत माता चौक, सहजानंद चौक, हरमू चौक, धोनी घर के पास, अरगोड़ा चौक, डीपीएस स्कूल, और बिरसा चौक शामिल हैं.
बूटी मोड़ से हिनू के बीच 11 ट्रैफिक सिग्नल
बूटी मोड़ से हिनू जाने में 11 ट्रैफिक सिग्नल मिलते है. जिनमें बूटी मोड़, खेलगांव चौक, कोकर चौक, कांटाटोली चौक, बहू बाहर चौक के पास दो ट्रैफिक सिग्नल, सिरमटोली चौक, सुजाता चौक, एजी मोड़, डोरंडा कॉलेज, आईलेक्स सिनेमा, और हिनू चौक के पास ट्रैफिक सिग्नल शामिल हैं.
करमटोली, कांटाटोली और सुजाता चौक पर लगती है लंबी कतार
करमटोली चौक , कांटाटोली चौक और सुजाता चौक पर वाहनों की लंबी कतार लगती है. इन स्थानों पर वाहनों का लोड सबसे अधिक है, और उसके हिसाब से ट्रैफिक सिग्नल की टाइमिंग भी सेट नहीं है. इसका नतीजा यह है कि अचानक वाहनों की कतार लग जाती है. जितनी देर ग्रीन सिग्नल रहता है, उतनी देर में वाहन पार नहीं कर पाते और जाम हो जाता है. इसकी वजह से इन मार्गों में पिक ओवर में वीवीआईपी और एंबुलेंस भी फंस जाते है, क्योंकि मार्ग में डिवाइडर उंचे है और बीच में कट भी नहीं है.