- जलमीनार खराब होने से आक्रोशित हैं गांव वाले
Dumaria (Dumaria) : डुमरिया प्रखंड के केंदुआ पंचायत अंतर्गत ग्राम कालियाम कोचा में उदय होनहागा के घर के सामने में स्थित जलमीनार खराब हो गया है. 35 परिवार के लोगों को पेयजल और अन्य आवश्यकताओं के लिए पानी की कमी हो रही है. ग्रामीण महिलाएं सुखी नदी के बीच में कुआं खोदकर पानी लिया जा रहा है. ग्रामीणों ने इसकी जानकारी मुखिया को दी है. पेयजल की समस्या से आक्रोशित महिलाओं ने शुक्रवार को खराब जलमीनार के सामने बर्तन लेकर विरोध प्रदर्शन किया. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से खराब जलमीनार मरम्मती की मांग की.
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मौके पर चंद्रो होनहागा, जानकी होनहागा, मानकी होनहागा, जानू होनहागा, सुनमुनि सबर, सुनी सबर, बसंती सरदार, मालोती होनहागा, श्रीमती होनहागा, मेचो होनहागा, नामसी होनहागा, सामु होनहागा, सातरी होनहागा, ओमरो होनहागा, सिदियु होनहागा, शमी होनहागा आदि उपस्थित थे. इस संबंध में केंदुआ पंचायत की मुखिया फुलमनी मुर्मू ने बताया कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को खराब जलमीनार की सूचना दी गई है. विभाग के जेई आकाश कुमार ने जलमीनार के जल्द मरम्मती का आश्वासन दिया है.
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डुमरिया : सड़क किनारे लगाये पौधे बिना देखभाल के हुए नष्ट
Dumaria (Sanat Kumar Pani) : वन विभाग द्वारा डुमरिया से कोइमा मुख्य सड़क के किनारे सैकड़ों पौधे लगाए गए हैं. पौधों की सुरक्षा के लिए बांस का घेरा भी लगाया गया है. कड़ी धूप के बाद सारे पौधे सूख कर नष्ट हो गए. इन पौधों में वन विभाग द्वारा पानी से सिंचाई नहीं किया गया. पेड़ पौधों को अकसर जून जुलाई माह में लगाया जाता है ताकि बरसात में पौधे जीवित रहें.
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वन विभाग द्वारा अप्रैल माह के कड़े धूप में पौधे रोपित कर दिए गए. पौधों को बचाने का प्रयास नहीं किया गया. इस संबंध में प्रभारी रेंजर दिग्विजय सिंह ने बताया कि अभी पौधा नहीं लगाया गया है, पौधे लगाने का ट्रायल किया गया होगा. जुलाई माह में पौधे लगाए जायेंगे.
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बहरागोड़ा : गरमा धान को बिचौलियों को बेचने को मजबूर हैं किसान
Bahragoara (Himangshu karan) : बहरागोड़ा प्रखंड को धान को कटोरा कहे जाने वाले क्षेत्र में इन दोनों गरमा धान की कटाई जोरों पर चल रही है. वहीं धान बहरागोड़ा प्रखंड की एक प्रमुख फसल है और चावल यहां की आबादी की एक मुख्य आहार है. इस बार गरमा धान के फसल को आंधी तूफान तथा बेमौसम बारिश से बचाने के लिए हार्वेस्टर द्वारा कटाई की जा रही है .उधर प्रखंड क्षेत्र के किसानों ने कहा की हार्वेस्टर द्वारा फसल को घर तक लाने में एक बीघा धान कटाई करने के लिए 15 से 20 मिनिट समय लगता है.
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इसमें 12,00 रु लगता है. वहीं एक बीघा धान अगर मजदूर द्वारा काटाई किया जाता है तब लगभग दस से बारह मजदूर लगेगें. इस परिस्थिति में धान को घर तक लाने के लिए एक बीघा में लगभग 1800 से 2100 रु लगता आता है.कुल मिलाकर देखा जाये तो मशीन में धान कटाई करने में मुनाफा ज्यादा होता है.
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झारखंड का धान का कटोरा कहा जाने वाला बहरागोड़ा प्रखंड का बरसोल में सरकारी धान क्रय केंद्र नहीं खुला है. धान क्रय केंद्र के नहीं खुलने से किसान औने- पौने दाम में अपने धान बेचने को मजबूर हैं. आलम यह है कि बिचौलिये किसानों के धान को औने-पौने मूल्य पर खरीदकर उनकी बेबसी का फायदा उठा रहे हैं.वहीं किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. बिचौलिये-साहूकार बेफिक्र होकर बिना डर के धान को किसानों से 15 से 16 रुपये प्रति किलो के दर से खरीद रहे हैं. बिचौलिए एवं साहूकारों द्वारा धान ट्रकों के जरिए पश्चिम बंगाल तथा उड़ीसा के राइस मिल में भेजने का काम किया जाता है. जिससे किसानों को उचित मुनाफा नहीं मिल पाता है.
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सरकारी धान क्रय केंद्र नहीं खुलने पर बिचौलिया वर्ग हो रहे हैं लाभान्वित :-
क्षेत्र के किसान रिंकू प्रधान,अजय दास,संजय दास,पबन पाल, आसीस देहुरी,शिबू प्रधान,श्रीबस घोष,पतित पाल आदि ने बताया कि धान केंद्र नहीं खुलने से किसान बिचौलियों के पास 16 रुपये प्रति किलो धान बेचने को मजबूर हैं. बिचौलिया वर्ग के पास 16 रुपये प्रति किलो धान बेचना पड़ा. अगर धान क्रय केंद्र बहरागोड़ा प्रखंड में खुल जाता, तो इतने कम दाम में हम धान बेचने को मजबूर नहीं होते. इन दिनों बादल छा रहा है. बारिश कभी भी हो सकती है. इसलिए धान को साफ कर व्यापारियों के पास मजबूरन 16-17 रुपये में बेचना पड़ रहा है. वहीं घूम रहे बिचौलिया के हाथों धान बिक्री होने से तुरंत रुपए मिल जाते हैं. जबकि सरकारी स्तर से धान खरीद की प्रक्रिया में सुस्त रैवये के कारण रुपए मिलने में काफी देरी होती है .साथ ही बताया गया कि लेम्प्स को धान बेचने पर दो किस्तों में पैसे का भुगतान किया जाता है.
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उधर किसानों को गेहूं की बुआई, घर की अन्य जरूरतें, बच्चे की स्कूल फीस, कपड़े-बर्तन, खाद-बीज आदि की खरीद, शादी-विवाह, मुंडन, श्राद्ध जैसे कार्य भी अप्रत्याशित रूप से करना होता है. इससे उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है. मजबूरी में वे खेत से ही धान को निजी व्यापारियों के हाथों मामूली दाम पर बेच देते हैं. बिचौलिया धान खरीदने के लिये बहरागोड़ा क्षेत्र के किसानों से 1600 से 1700 रुपये प्रति क्विटल की दर से धान की खरीदारी करते हैं. इसके बाद यही धान दूसरे राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य 2050 रुपये प्रति क्विटल के हिसाब से बेच देते हैं. जबकि बहरागोड़ा व बरसोल क्षेत्र में अब तक सरकारी धान क्रय केंद्र नहीं खुलने से किसान अपना धान बाजार में कम कीमत पर बेचने को विवश हैं.सरकारी स्तर पर धान की दर 2020 रुपये प्रति क्विटल है. जबकि स्थानीय बाजारों में मात्र 1600 से 1700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचा जा रहा है.
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